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श्राद्ध में करें तर्पण (मनहरण घनाक्षरी)

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  श्राद्ध में करें तर्पण, श्रद्धा मन से अर्पण, पितरों को याद कर, पूजन कराइये । ब्राह्मण करायें भोज, उन्नति मिलेगी रोज, दान, दक्षिणा, सम्मान, शीष भी नवाइये । पिण्डदान का विधान, पितृदेव हैं महान, बैतरणी करें पार  गयाजी तो जाइये । तर्पण से होगी मुक्ति, श्राद्ध है पावन युक्ति, पितृलोक से उद्धार, स्वर्ग पहुँचाइये । पितृदेव हैं महान, श्राद्ध में हो पिण्डदान, जवा, तिल, कुश जल, अर्पण कराइये । श्राद्ध में जिमावे काग, श्रद्धा मन अनुराग, निभा सनातन रीत, पितर मनाइये । पितर आशीष मिले वंश खूब फूले फले , सुख समृद्धि संग, खुशियाँ भी पाइये । सेवा करें बृद्ध जन, बात सुने पूर्ण मन, विधि का विधान जान, रीतियाँ निभाइये । हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और मनहरण घनाक्षरी छंद ●  प्रभु फिर आइए

सपने जो आधे-अधूरे

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कुछ सपने जो आधे -अधूरे यत्र-तत्र बिखरे मन में यूँ जाने कब होंगे पूरे .....? मेरे सपने जो आधे -अधूरे            दिन ढ़लने को आया देखो        सांझ सामने आयी.....        सुबह के सपने ने जाने क्यूँ        ली मन में अंगड़ाई...... बोला; भरोसा था तुम पे तुम मुझे करोगे पूरा..... देख हौसला लगा था ऐसा कि छोड़ न दोगे अधूरा....           डूबती आँखें हताशा लिए           फिर वही झूठी दिलाशा लिए           चंद साँसों की आशाओं संग           वह चुप फिर से सोया......           देख दुखी अपने सपने को           मन मेरा फिर-फिर रोया..... सहलाने को प्यार से उसको जो अपना हाथ बढ़ाया.... ढ़ेरों अधूरे सपनों की फिर गर्त में खुद को पाया......          हर पल नित नव मौसम में          सपने जो मन में सजाये....

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