संदेश

नवंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सैनिक, संत, किसान (दोहा मुक्तक)

चित्र
सैनिक रक्षा करते देश की, सैनिक वीर जवान । लड़ते लड़ते देश हित, करते निज बलिदान । ओढ़ तिरंगा ले विदा,  जाते अमर शहीद, नमन शहीदों को करे, सारा हिंदुस्तान ।। संत संत समागम कीजिए, मिटे तमस अज्ञान । राह सुगम होंगी सभी, मिले सत्य का ज्ञान । अमल करे उपदेश जो, होगा जीवन धन्य, मिले परम आनंद तब, खिले मनस उद्यान । किसान खून पसीना एक कर , खेती करे किसान । अन्न प्रदाता है वही, देना उसको मान । सहता मौसम मार वह, झेले कष्ट तमाम, उसके श्रम से पल रहा सारा हिंदुस्तान ।         सैनिक, संत, किसान 1) सीमा पर सैनिक खड़े, खेती करे किसान ।    संत शिरोमणि से सदा,  मिलता सबको ज्ञान।    गर्वित इन पर देश है , परहित जिनका ध्येय,    वंदनीय हैं सर्वदा, सैनिक संत किसान ।। 2) सैनिक संत किसान से,  गर्वित हिंदुस्तान ।     फर्ज निभाते है सदा,  लिये हाथ में जान ।     रक्षण पोषण धर्म की,  सेवा पर तैनात,      करते उन्नति देश की,  सदा बढ़ाते मान ।। हार्दिक अभिनंदन आपका 🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर ●  मुक्...

सपने जो आधे-अधूरे

चित्र
कुछ सपने जो आधे -अधूरे यत्र-तत्र बिखरे मन में यूँ जाने कब होंगे पूरे .....? मेरे सपने जो आधे -अधूरे            दिन ढ़लने को आया देखो        सांझ सामने आयी.....        सुबह के सपने ने जाने क्यूँ        ली मन में अंगड़ाई...... बोला; भरोसा था तुम पे तुम मुझे करोगे पूरा..... देख हौसला लगा था ऐसा कि छोड़ न दोगे अधूरा....           डूबती आँखें हताशा लिए           फिर वही झूठी दिलाशा लिए           चंद साँसों की आशाओं संग           वह चुप फिर से सोया......           देख दुखी अपने सपने को           मन मेरा फिर-फिर रोया..... सहलाने को प्यार से उसको जो अपना हाथ बढ़ाया.... ढ़ेरों अधूरे सपनों की फिर गर्त में खुद को पाया......          हर पल नित नव मौसम में          सपने जो मन में सजाये....

फ़ॉलोअर