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करते रहो प्रयास (दोहे)

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1. करते करते ही सदा, होता है अभ्यास ।     नित नूतन संकल्प से, करते रहो प्रयास।। 2. मन से कभी न हारना, करते रहो प्रयास ।   सपने होंगे पूर्ण सब, रखना मन में आस ।। 3. ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर ।   करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।। 4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास ।    सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।। 5. प्रभु सुमिरन करके सदा, करते रहो प्रयास ।    सच्चे मन कोशिश करो, मंजिल आती पास ।। हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर उत्तराखंड में मधुमास (दोहे)

....रवि शशि दोनों भाई-भाई.......

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स्कूल की छुट्टियां और बच्चों का आपस में लड़ना झगड़ना..... फिर शिकायत.... बड़ों की डाँट - डपट...... पल में एक हो जाना....अगले ही पल रूठना... माँ का उन्हें अलग-अलग करना... तो एक-दूसरे के पास जाने के दसों बहाने ढूँढ़ना.... न मिल पाने पर एक दूसरे के लिए तड़पना....       तब माँ ने सोचा- -- यही सजा है सही, इसी पर कुछ इनको मैं बताऊँ, दोनोंं फिर न लड़ें आपस में,ऐसा कुछ समझाऊँ... दोनोंं को पास बुलाकर बोली.... आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊँ एक अजब कहानी, ना कोई था राजा जिसमें ना थी कोई रानी... बच्चे बोले --तो फिर घोड़े हाथी थे...?                  या हम जैसे साथी थे....!! माँ बोली---हाँ ! साथी थे वे तुम जैसे ही                  रोज झगड़ते थे ऐसे ही...... अच्छा!!!... कौन थे वे ?..      .. .."रवि और शशि". .. रवि शशि दोनों भाई-भाई खूब झगड़ते  थे लरिकाई रोज रोज के शिकवे सुनकर तंग आ गयी उनकी माई...... एक कर्मपथ ता पर विपरीत मत झगड़ेंगे यूँ ही तो होगी जगहँसाई ...

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