सच्चा दोस्त
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"मम्मा ! आज मैं बाहर खेलने नहीं जाउँगा, क्या मैं टीवी देख लूँ" ?
"नहीं बेटा ! ये समय बाहर खेलने का है और देखो ! तुम्हारा बैस्ट फ्रेंड सौरव भी तुम्हारा इंतजार कर रहा है , जाओ बाहर खेल आओ" !
"नहीं मम्मा! मुझे सौरव के साथ नहीं खेलना, अब वो मेरा बैस्ट फ्रेंड नहीं है, क्योंकि उसने मुझे क्लास में टीचर से डाँट खिलाई । क्या कोई बैस्ट फ्रेंड ऐसा करता है ? बोलो न मम्मा" !...?
"हम्म्म! बात तो सही है, पर उसने तुम्हें डाँट क्यों खिलाई" ? माँ ने मामला समझने की कोशिश में पूछा तो विक्की बोला ; "मम्मा ! एक नहीं दो दो बार डाँट खिलाई उसने मुझे, अब मैं आपको क्या-क्या बताऊँ" विक्की रुँआसा हो गया...।
"सब बता दो मैं सुन रही हूँ" कहकर माँ ने उसका सिर सहलाया तो विक्की बहुत बढ़ा चढ़ा कर बोला;
"आज मैंने एक नया फ्रेंड बनाया , हम दोनों क्लास में बहुत धीमे से बातें कर रहे थे, मैम को तो पता भी नहीं चलता मम्मा पर इसने मैम को बता दिया और फिर हमें मैम ने डाँटा और अलग-अलग भी बिठा दिया...बहुत गंदा है सौरव" ....।
"वैसे क्लास में बात करना कोई अच्छी बात तो नहीं खासकर तब जब टीचर पढ़ा रही हों। हैं न विक्की"! माँ बोली तो विक्की कुछ हिचकिचाया पर तुरन्त सफाई देते हुए बोला , "नो मम्मा ! टीचर कुछ खास पढ़ा नहीं रही थी , ये सौरव न मेरी नयी दोस्ती से जैलस था बस इसीलिए"...
और दूसरी कौन सी बात पर डाँट खिलाई ? माँ ने पूछा तो विक्की बोला; मम्मा वो मैं गलती से अपनी सोशल स्टडी की बुक ले जाना भूल गया, पर मैंने बड़ी चालाकी से साइंस की बुक आधी खोलकर पढ़ने का नाटक किया मैम को पता भी न चलता मम्मा अगर सौरव नहीं बताता...फिर मैम ने डाँटा और सौरव के साथ बुक शेयर करने को कहा।
"और आपको साइंस की बुक में सोशल स्टडी समझ आ रही थी" ? माँ ने पूछा तो विक्की बोला ; "मम्मा मैं घर आकर स्टडी कर लेता न । पता भी है पूरी क्लास के सामने डाँट खाना कितना बुरा लगता है... सब सौरव की वजह से...गंदा कहीं का "। कहकर विक्की ने मुँह फुला लिया।
पूरा मामला समझकर माँ ने विक्की को प्यार से समझाते हुए कहा "बेटा ! अच्छा और सच्चा दोस्त वही है जो तुम्हें गलती करने से रोके और परेशानी में तुम्हारा साथ दे" ।
"पर मम्मा उसकी वजह से मुझे बहुत बुरा लगा मैं उसके साथ नहीं खेलूँगा आज से वो मेरा दोस्त नहीं है" कहकर विक्की टीवी देखने चला गया...और माँ ने भी बात को समय पर छोड़ दिया।
अगले ही दिन स्कूल से आते हुए विक्की और सौरव एक दूसरे के साथ थे घर आकर विक्की बोला मम्मा ! आप सही कह रहे थे विक्की ही मेरा बैस्ट फ्रेंड है।
"अच्छा! वो कैसे" ? माँ ने आश्चर्यचकित होकर पूछा तो विक्की बोला "हाँ मम्मा! आज क्लास में जब ऑन्सर न दे पाने पर सब लूजर कहकर मुझ पर हँसे तो सौरव ने उन्हें डाँटा और मेरा साथ दिया, तब मुझे आपकी बतायी हुई बात भी समझ आ गयी।
"मम्मा ! सौरव ही मेरा सच्चा और अच्छा दोस्त है अब मैं भी उसी की तरह बनूँगा... अपने दोस्तों का हमेशा साथ देते हुए उन्हें गलतियाँ करने से भी रोकूंगा"।
चित्र, साभार piixabay.com से
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टिप्पणियाँ
बहुत बहुत सुन्दर प्रेरणादायक
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभा आ.आलोक जी!
हटाएंबड़ी ही प्रेरणादायक कहानी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार, आ.प्रवीण पाण्डेय जी!
हटाएंप्रेरक कथा । वैसे विक्की समझदार था जो जल्दी ही समझ गया।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार एवं धन्यवाद आ.संगीता जी!
जवाब देंहटाएंसमझ तो जल्दी गया पर कितने समय के लिए समझा ये तो उसकी मम्मा ही जानती होगी।😀😀
जल्दी समझने वाले अक्सर जल्दी भूल भी जाते हैं।
जवाब देंहटाएंप्रिय सुधा जी संदेशात्मक लघु कथा।
बालमन पर किसी भी सीख का गहरा असर होता है।
बच्चों को सही गलत का भेद बताना हर अभिवावक का कर्तव्य है।
विक्की जैसा ही हर बच्चे को ऐसा ही मार्गदर्शन मिले यही बच्चों को नैतिक शिक्षा की सच्ची पढ़ाई होगी।
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सस्नेह
सादर
तहेदिल से धन्यवाद श्वेता जी! सराहनीय प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करने हेतु।
हटाएंसस्नेह आभार।
बाल मन को पढ़ती और सुंदर संदेश देती प्रेरक कहानी,ये बड़ों को भी एक अच्छी मित्रता का संदेश गई। एक शानदार सृजन के लिए आपको बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंसराहनासम्पन्न प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ६ अगस्त २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
तहेदिल से धन्यवाद श्वेता जी मेरी रचना को पांच लिंकों के आनंद मंच पर साझा करने हेतु।
हटाएंसस्नेह आभार।
हृदयतल से धन्यवाद मीना जी!मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा करने हेतु।
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
विक्की, विक्की माँ और सौरव जैसे पात्रों से निकली प्रेरक और रोचक घटनाक्रम/रचना .. साथ ही अंत में निश्चल बालमन के मनोविज्ञान को छूती हुई पारदर्शी रचना .. शायद ...
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.सुबोध जी!सराहनीय प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंबहुत ही खूबसूरत और प्रेरणादायक कहानी! इतनी खूबसूरती से वर्णन किया है आपने कि सभी दृश्य दिख रहे थे! सच में प्रस्तुति बहुत ही अच्छी और सरहानीय है!
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद प्रिय मनीषा जी!सराहनासम्पन्न प्रतिक्रिया से प्रोत्साहन हेतु।
हटाएंअच्छे और बहुत अच्छे की समझ जगाती कथा...। बचपन याद हो आया... खूब बधाई आपको
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.संदीप जी!
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंप्रेरक कथा सृजन हेतु बधाई
तहेदिल से धन्यवाद आ.विभा जी!
हटाएंसाधर आभार।
बहुत ही अच्छी एवं प्रेरक कहानी है सुधा जी यह तो। वैसे मेरे पुत्र का नाम भी सौरव है।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा नाम है सौरव जितेन्द्र जी!और आपका पुत्र भी बहुत होनहार है आपने यूट्यूब वीडियो शेयर किया था उसका...बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको और प्रिय सौरव को।
हटाएंआपको कहानी अच्छी लगी इसके लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार।
सुन्दर सन्देश!!
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद अनुपमा जी!
हटाएंबहुत सुंदर प्रेरक कहानी सखी।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद सखी!
हटाएंअच्छा और सच्चा दोस्त वही है जो तुम्हें गलती करने से रोके और परेशानी में तुम्हारा साथ दे" ।------
जवाब देंहटाएंये सबक देकर माँ ने विक्की को जीवन का सबसे व्यावहारिक सबक दे दिया | और विक्की ने भी उसे उसी निर्मलता से ग्रहण किया | चाटुकारिता के युग में ऐसी दोस्ती विरले लोग ही पाते हैं जो सही दिशा में प्रेरित करे | सुंदर बाल कथा प्रिय सुधा जी | आपको बधाई और हार्दिक स्नेह |
सही कहा प्रिय रेणु जी आजकल ऐसे दोस्त मिलना मुश्किल है। कहानी की विस्तृत विवेचना हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार।
हटाएंबहुत सुंदर और प्रेरक बालकथा....
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद नैनवाल जी!
हटाएंसुन्दर, सार्थक प्रेरक कहानी बहुत अच्छी लगी। सच्चे दोस्त ऐसे ही होते हैं।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद विरेन्द्र जी!
हटाएंदोस्ती का सही मतलब समझती सुंदर कथा आदरणीय सुधा जी,सादर नमन
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी!
हटाएंबहुत खूबसूरत कहानी,बेहद सुखद
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार भारती जी!
हटाएंसुधा दी, सामान्यतः दोस्त भी अपने दोस्त की गलती बतलाने से बचते है क्योंकि उन्हें दोस्ती के टूटने का डर लगता है। लेकिन सच्चे दोस्त की आपने सही परिभाषा और बहुत ही सुंदर तरीके से बताई। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी!
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