बदलती सोच 【1】
पहले से ही खचाखच भरी बस जब स्टॉप पर रुकी तो बहुत से लोगों के साथ एक शराबी भी बस में चढ़ा जो खड़े रह पाने की हालत में नहीं था...।
सभी सीट पहले से ही फुल थी, उसे लड़खड़ाते देख बस में खड़ी महिलाएं इधर उधर खिसकने की कोशिश करने लगी।
तभी एक उन्नीस - बीस साल की लड़की अपनी सीट से उठी और शराबी को सीट पर बैठने का आग्रह किया। शराबी बड़े रौब से लड़खडा़ती आवाज में बोला, "इट्स ओके…आइ विल मैनेज"...।
लड़की ने बस कंडक्टर से इशारा कर शराबी को अपनी सीट पर बिठा दिया।
बस में खड़ी सभी महिलाओं के चेहरे पर सहजता के भाव साफ नजर आ रहे थे .....
अब वह लड़की भी उन्ही के साथ खड़ी थी।
तभी एक बुजुर्ग महिला बस के झटके से गिरने को हुई तो लड़की ने उन्हें सम्भाला और पास में बैठे लड़के से बोली "भाई क्या आप अपनी सीट इन ऑण्टी को दे सकते हैं"...?
लड़का तपाक से बोला "मैं आपकी तरह बेवकूफ नहीं हूँ, कि अपनी सीट दूसरों को देकर धक्के खाता फिरूँ...। आपने उस शराबी को सीट क्यों दी ? देनी ही थी तो इन ऑण्टी जैसे लोंगो को देती जो खड़े रहने में अक्षम हैं..... और वैसे भी तुम्हारी सीट तो महिला आरक्षित सीट थी न"....?
लड़की बड़े शान्त स्वर मे बोली ,"ठीक है भाई! मैंने तो आपसे सिर्फ पूछा है...देना, न देना, ये आपकी इच्छा है....और रही बात मेरी सीट की , तो वह आदमी नशे में होश खोया है और इतनी सारी महिलाओं के साथ खड़े होकर वह होश में आना भी नहीं चाहता....।
ऐसे ही लोगों की वजह से न जाने कितनी महिलाओं को छेड़छाड़ जैसी बेहूदा हरकतों से गुजरना पड़ता है, इसीलिए मैंने उसे अपनी आरक्षित सीट दे दी। क्योंकि ऐसे लोग हम महिलाओं के आस-पास न हों तो हमें आरक्षण की कोई खास आवश्यकता भी नहीं"।
लड़की की बात सुनकर अन्य कई युवा उठकर बस में खड़े बुजुर्गों और असमर्थों को अपनी सीट पर बिठाकर स्वयं खड़े होकर सफर करने लगे।
चित्र साभार गूगल से.....
टिप्पणियाँ
सटीक शिक्षा भी..
आभार जागरूकता संदेश के लिए
सादर..
सादर आभार।
सादर आभार।
कहानी के माध्यम से बहुत खुच कहा है आपने ...
चर्चा मंच में स्थान देने हेतु...।
सस्नेह आभार।
वाह बेहतरीन
सादर
आईना दिखाती सी।
सस्नेह।
सस्नेह आभार।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
वाह! बस एक पंक्ति में इतना करारा तमाचा!!!