अपनों को परखकर....
अपनों को परखकर यूँ परायापन दिखाते हो
पराए बन वो जाते हैं तो आंसू फिर बहाते हो
न झुकते हो न रुकते क्यों बातें तुम बनाते हो
उन्हें नीचा दिखाने को खुद इतना गिर क्यों जाते हो
पराये बन वो जाते हैं तो आँसू फिर बहाते हो
अपनों को परखकर......
मिले रिश्ते जो किस्मत से निभाना है धरम अपना
जीत लो प्रेम से मन को यही सच्चा करम अपना
तुम्हारे साथ में वो हैं तो हक अपना जताते हो
पराये बन वो जाते हैं तो आँसू फिर बहाते हो।
अपनों को परखकर ......
कोई रिश्ता जुड़ा तुमसे निभालो आखिरी दम तक
सुन लो उसके भी मन की, सुना लो नाक में दम तक
बातें घर की बाहर कर, तमाशा क्यों बनाते हो
पराये बन वो जाते हैं तो आँसू फिर बहाते हो
अपनों को परखकर......
ये घर की है तुम्हारी जो, उसे घर में ही रहने दो
कमी दूजे की ढूँढ़े हो, कमी अपनी भी देखो तो
बही थी प्रेम गंगा जो, उसे अब क्यों सुखाते हो
पराये बन वो जाते हैं तो आँसू फिर बहाते हो
अपनों को परखकर....
चले घर त्याग करके जो, तो जाने दो न रोको तुम
जहाँ खुश हैं रहें जाकर, न जाके उनको टोको तुम
क्यों जाने वालों को घर की राह फिर फिर दिखाते हो
पराये बन वो जाते हैं तो आँसू फिर बहाते हो
अपनों को परखकर....
चित्र साभार गूगल से...
टिप्पणियाँ
गली हमने कहा था तुम तो दुनिया छोड़ जाते हो (अज्ञात)
कमी दूजे की ढूँढ़े हो, कमी अपनी भी देखो तो
बही थी प्रेम गंगा जो, उसे अब क्यों सुखाते हो
पराये बन वो जाते हैं तो आँसू फिर बहाते हो
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, सुधा दी।
सादर आभार।
सादर आभार।
सस्नेह आभार।
बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।
सादर।
सस्नेह आभार।
जहाँ खुश हैं रहें जाकर, न जाके उनको टोको तुम - - सुन्दर सृजन।
जीत लो प्रेम से मन को यही सच्चा करम अपना
बहुत सुंदर भाव...
बहुत सुंदर रचना ...
जहाँ खुश हैं रहें जाकर, न जाके उनको टोको तुम
क्यों जाने वालों को घर की राह फिर फिर दिखाते हो
पराये बन वो जाते हैं तो आँसू फिर बहाते हो
..सारगर्भित पंक्तियाँ..।भावपूर्ण सुंदर रचना..।
जहाँ खुश हैं रहें जाकर, न जाके उनको टोको तुम
क्यों जाने वालों को घर की राह फिर फिर दिखाते हो
पराये बन वो जाते हैं तो आँसू फिर बहाते हो।।
बढ़िया कविता
साधुवाद,
डॉ. वर्षा सिह
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सादर आभार।
यथार्थ पर सार्थक भाव चिंतन।
अभिनव सृजन।
सस्नेह आभार आपका।
घर की बात चार दिवारी से क्यों निकले ... निकली तो अनेक रूप ले लेती है ...
हर छंद नयी सीख, एक आधार लिए है जो बहुत ज़रूरी है जीवन में ... सुन्दर भावपूर्ण रचना ...
सादर आभार।