नयी सोच【2】
चित्र, साभार गूगल से.. डब्बू - - दादू ! आज मेरे फ्रेंड्स डिनर पे बाहर जा रहे हैं, मैं भी जाऊँ उनके साथ ?... प्लीज दादू ! हाँ कह दो न। दादाजी -- अरे नहीं बेटा ! तू अपने दोस्तों के साथ कैसे डिनर करेगा ? आजकल ज्यादातर लड़के नॉनवेज खाते हैं डिनर में, फिर एक ही टेबल पर ! छिः छी...! अच्छा बता क्या खाना है तुझे ? अभी मँगवाता हूँ , बोल ! डब्बू - ---- नहीं ना दादू! मुझे बाहर जाना है । दादाजी ---- ओ के ! चल फिर तैयार हो जा ! अभी चलते हैं, आज मैं तुझे तेरी पसंद की हर चीज खिलाउंगा। चल चल ! जल्दी कर! डब्बू - ---- ओह दादू! नहीं जाना मुझे आपके साथ (गुस्से से खीझते हुए) मुझे समझ नहीं आता नॉनवेज से आपको दिक्कत क्या है ? हाँ खाते हैं सब लोग नॉनवेज ! खाने की चीज है तो खायेंगे ही न, और हम भी तो खाते हैं न अंडे! दादाजी --- (सख्त लहजे में) अंडे नॉनवेज में नहीं आते डब्बू ! मैंने तुम्हें पहले भी समझाया था। डब्बू -- ये सब कहने की बाते हैं दादू ! अंडे से ही तो चूजा बनता है न...अंडा भ्रूण है दादू ! ... और छोड़िये ये सब । हमने खाया न, तो क्या बिगड़ा हमा