'माँ ! तुम सचमुच देवी हो '
क्या धरती पर ही पली हो माँ !?
या देवलोक की देवी हो,
करने आई हम पर उपकार।
माँ ! तुम्हें नमन है बारम्बार!
सागर सी गहराई तुममें,
आसमान से ऊँची हो।.
नारी की सही परिभाषा हो माँ !
सद्गुणों की पूँजी हो।
जीवन बदला, दुनिया बदली,
हर परिवर्तन स्वीकार किया।
हर हाल में धैर्य औऱ साहस से,
निज जीवन का सत्कार किया।।
सारे दुख-सुख दिल में रखकर,
तुम वर्तमान में जीती हो...
खुशियां हम सब को देकर के माँ !
खुद चुपके से गम पीती हो।
अच्छा हो या बुरा हो कोई,
माँ ! तुम सबको अपनाती हो।
दया और क्षमा देकर तुम,
सहिष्णुता सिखलाती हो।।
जब छोटे थे मातृत्व भरी,
ममता से सींचा हमको।
जब बडे़ हुए तो दोस्त बनी, माँ !
पग-पग का साथ दिया हमको।।
फिर पापा बन मुश्किल राहों में,
चलना हमको सिखलाया।
जब घर लौटे तो गृहस्थी का भी,
पाठ तुम्हीं ने बतलाया।।
थके हारे जब हम जीवन में,
आशा का दीप जलाया तुमने।
प्रकाशित कर जीवन की राहें,
जीने का ज़ोश जगाया तुमने।।
प्रेरणा हो तुम,प्रभु का वर हो।
किन पुण्यों कि फल हो माँ !
जीवन अलंकृत करने वाली,
शक्ति एक अटल हो माँ ! ।
आदरणीय हो,पूज्यनीय हो।
तुम सरस्वती ,लक्ष्मी हो माँ !
मेरे मन-मन्दिर में बसने वाली
तुम सचमुच देवी हो माँ !
टिप्पणियाँ
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आप को
सादर
मातृत्व को अभिव्यक्त करती सशक्त रचना
🙏🙏🙏
आपका लेखन अद्भुत है शायद ही कोई ब्यक्ति हो जो इसको पढ़कर माँ के साथ अपनी जीवन यात्रा को इससे सम्बद्ध न करे।
अंत में यही उदगार मैं भी व्यक्त करता हूँ
आदरणीय हो,पूज्यनीय हो।
तुम सरस्वती ,लक्ष्मी हो माँ !
मेरे मन-मन्दिर में बसने वाली
तुम सचमुच देवी हो माँ !!
शब्द-शब्द स्नेह और सम्मान से पगे हुये है।
ममता की ऐसे परिभाषित एक माँ ही कर सकती है।
ठूँठ हो या बंज़र नेह की हरियाली माँ ही भर सकती है।
सस्नेह आभार...
आपको भी मातृदिवस की शुभकामनाएं।
आपको भी अनन्त शुभकामनाएं...
आपको भी मातृदिवस की शुभकामनाएं।
सस्नेह आभार एवं धन्यवाद....।
आपकी प्रतिक्रिया हमेशा उत्साह द्विगुणित करती है....सस्नेह आभार आपका ।
आपकी लिखी रचना रविवार ८ मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु ।
मातृ दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।