पुनर्जन्म
इस कहानी में पुनर्जन्म का मतलब किसी जीवात्मा का नया शरीर धारण कर पुनः जन्म लेने से नहीं अपितु सुप्त भाव संवेदनाओं का मन में पुनः जागृत होने से है । पूरे पन्द्रह दिन बाद जब भुविका ननिहाल से लौटी तो माँ (अनुमेधा) उसे बड़े प्यार से गले लगाकर उलाहना देते हुए बोली, "उतर गया तेरा गुस्सा ? नकचढ़ी कहीं की ! इत्ते दिनों से नानी के पास बैठी है, अब कुछ ही दिनों में जॉब के लिए चली जायेगी, माँ का तो ख्याल ही नहीं है ! है न" ! माँ से अलग होते हुए भुविका अनमने से मुस्कुरायी और फिर बड़े से बैग को घसीटते हुए अपने कमरे तक ले गयी । "अरे ! इतने बड़े थैले में ये क्या भरकर दिया है तेरी नानी ने" ? अनुमेधा हैरानी से पूछते हुए उसके पीछे-पीछे आयी तो भुविका बैग की चेन खोलते हुए बोली, "आप खुद ही देख लीजिए " ! वह बड़ी उत्सुकता से बैग के अन्दर झाँकने लगी, तभी भुविका ने कुछ मेडल, सम्मानपत्र और तस्वीरें निकालकर वहीं बैड पर फैला दिये । "हैं !....ये क्या है...? ये.... ये सब यहाँ क्यों ले आई भुवि" ? हैरानी से आँखें बड़ी कर अनुमेधा ने पूछा तो भुविका बोली , " माँ ! ये सब आपके