बेरोजगारी : "एक अभिशाप"
नवयुवा अपने देश के, पढे-लिखे ,डिग्रीधारी सक्षम,समृद्ध, सुशिक्षित झेल रहे बेरोजगारी। कर्ज ले,प्राप्त की उच्च शिक्षा, अब सेठजी के ताने सुनते। परेशान ये मानसिक तनाव से, आत्महत्या के रास्ते ढूँढते। माँ,बहनों के दु:ख जो सह न सके, वे अभागे गरीबी मिटाने के वास्ते, परचून की दुकान पर मिर्ची तोलते। तो कुछ सैल्समैन बन गली-गली डोलते। कुछ प्रशिक्षित नव-युवा, आन्दोलन कर धरने पर बैठते नारेबाजी के तुक्के भिडाते, मंत्री जी की राह ताकते, नौकरी की गुहार लगाते। तो कुछ विदेशी कम्पनियों की सदस्यता में धन-जन जुटाने के जुगाड़ लगाते हमारे सुशिक्षित नवयुवक, निठल्ले ,निकम्मे