गैरों के हाथों ना सौंप दें ,यारा ! निज जीवन का रिमोट
जीवन है अपना, आओ स्वयं को
स्वयं ही करना सीखें प्रमोट !
गैरों के हाथों ना सौंप दें,
यारा ! निज जीवन का रिमोट !
किसने जाना किन हालों में
कैसा जीवन हमने जिया
मथकर इससे निकले हलाहल
को हमने भी स्वयं पिया
मन की सुनके मन के मुताबिक
कौन करेगा हमें सपोट
गैरों के हाथों ना सौंप दें,
यारा ! निज जीवन का रिमोट !
किसी के शब्दों से आहत मन
दुख के समन्दर डूबा जाये
गाकर महिमा कोई मन को
झाड़ चने की खूब चढ़ाये
शब्द छुएं सहमें अंतर्मन
बने ना हम यूँ 'टच मी नॉट'
गैरों के हाथों ना सौंप दें
यारा ! निज जीवन का रिमोट !
कर दें सबके स्वार्थ सिद्ध तो
तारीफें सुन दिन बन जाये
ना जो कहें तो, अब तक की
करनी में भी पानी फिर जाये
फिर दूजों की मर्जी से ही
दबते 'सैड या हैप्पी' मोड
गैरों के हाथों ना सौंप दें
यारा ! निज जीवन का रिमोट !
अपनी कमी-खूबी पहचाने
निज व्यक्तित्व निखारें हम
अपनी खुशी अब अपने जिम्मे
जान के जान संवारें हम
खुल के जिएं फिर निर्भय होके
प्रमुदित मन 'औ' आत्मिक थॉट
गैरों के हाथों ना सौंप दें
यारा ! निज जीवन का रिमोट !
चित्र, साभार pixabay से...
टिप्पणियाँ
अपनी खुशी अब अपने जिम्मे, जान के जान संवारें हम।
सुधा दी, जब हम उपरोक्त सिर्फब्दो लाइनों का सही मायने में मतलब समझ लेंगे उस दिन हमारा जीवन खुशियों से भर जाएगा। बहुत ही सुंदर रचना।
पर अब ध्यान से अपना रिमोट सम्भालना होगा हमें...
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
तारीफें सुन दिन बन जाये
ना जो कहें तो, अब तक की
करनी में भी पानी फिर जाये
फिर दूजों की मर्जी से ही
दबते 'सैड या हैप्पी' मोड
लाजवाब सृजन सुधा जी !
सच में कभी भी अपनी ख़्वाहिशों के लिए दूसरे पर निर्भर नहीं होना चाहिए।आपकी कविता ने वास्तविकता को प्रकट कर मन के भावों को जागृत कर दिया।
दुख के समन्दर डूबा जाये
गाकर महिमा कोई मन को
झाड़ चने की खूब चढ़ाये
शब्द छुएं सहमें अंतर्मन
बने ना हम यूँ 'टच मी नॉट'
गैरों के हाथों ना सौंप दें
यारा ! निज जीवन का रिमोट !
** सही कहा आपने अपने जीवन की बागडोर अपने हाथ में ही रखनी चाहिए ।
सराहनीय विषय पर सुंदर सृजन
ब्लॉग पर आपका स्वागत है ।
तारीफें सुन दिन बन जाये
ना जो कहें तो, अब तक की
करनी में भी पानी फिर जाये
फिर दूजों की मर्जी से ही
दबते 'सैड या हैप्पी' मोड
गैरों के हाथों ना सौंप दें
यारा ! निज जीवन का रिमोट !
बहुत सुन्दर रचना ।
आदरणीय मैम,
मेरे पोस्ट आपका स्वागत है अपनी बहुमुल्य अनुभवों से मेरा मार्ग दर्शन करें ।
वाह
हार्दिक धन्यवाद आपका ।
निज व्यक्तित्व निखारें हम
अपनी खुशी अब अपने जिम्मे
जान के जान संवारें हम
खुल के जिएं फिर निर्भय होके
प्रमुदित मन 'औ' आत्मिक थॉट
गैरों के हाथों ना सौंप दें
यारा ! निज जीवन का रिमोट !
जी उम्दा सृजन ।
अपना रिमोट दूसरे के हाथ में दिया तो कठपुतली बनकर रह गए समझो
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
अपना रिमोट किसी के भी हाथों देना खुद को कठपुतली सा बना देना है ...
गहरा चिंतन करती हुई रचना ...