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दिसंबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मन की उलझनें

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बेटे की नौकरी अच्छी कम्पनी में लगी तो शर्मा दम्पति खुशी से फूले नहीं समा रहे थे,परन्तु साथ ही उसके घर से दूर चले जाने से दुःखी भी थे । उन्हें हर पल उसकी ही चिंता लगी रहती ।  बार-बार उसे फोन करते और तमाम नसीहतें देते । उसके जाने के बाद उन्हें लगता जैसे अब उनके पास कोई काम ही नहीं बचा, और उधर बेटा अपनी नयी दुनिया में मस्त था ।   पहली ही सुबह वह देर से सोकर उठा और मोबाइल चैक किया तो देखा कि घर से इतने सारे मिस्ड कॉल्स! "क्या पापा ! आप भी न ! सुबह-सुबह इत्ते फोन कौन करता है" ? कॉलबैक करके बोला , तो शर्मा जी बोले, "बेटा ! इत्ती देर तक कौन सोता है ? अब तुम्हारी मम्मी थोड़े ना है वहाँ पर तुम्हारे साथ, जो तुम्हें सब तैयार मिले ! बताओ कब क्या करोगे तुम ?  लेट हो जायेगी ऑफिस के लिए" ! "डोंट वरी पापा ! ऑफिस  बारह बजे बाद शुरू होना है । और रात बारह बजे से भी लेट तक जगा था मैं ! फिर जल्दी कैसे उठता"? "अच्छा ! तो फिर हमेशा ऐसे ही चलेगा" ? पापा की आवाज में चिंता थी । "हाँ पापा ! जानते हो न कम्पनी यूएस"... "हाँ हाँ समझ गया बेटा ! चल अब जल्दी से अपन...

"नववर्ष मंगलमय हो"

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                  नववर्ष के शुभ आगमन पर,                   शुभकामनाएं हैं हमारी।                   मंगलमय जीवन हो सबका,                   प्रेममय दुनिया हो सारी।                   हवा सुखमय मधुर महके,                   हरितिमा अपनी धरा हो।                   खुशनुमा  आकाश अपना,                   स्वर्ग सा संसार हो।                   नववर्ष ऐसा मंगलमय हो।                           आशाओं के अबुझ दीपक,                  अब जले हर इक सदन में। ...

"तुम हो हिन्दुस्तानी"

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   प्यारे बच्चों ! दुनिया में तुम नया सवेरा लाना,        जग में नाम कमाना ,कुछ नया-सा कर के दिखाना।          फैली तन्हाई, अब तुम ही इसे मिटाना,             ऐसा कुछ कर जाना..   गर्व करें हर कोई तुम पर "तुम हो हिन्दुस्तानी"।       क्षितिज का तुम भ्रम मिटाना,          ज्ञान की ऐसी ज्योति जगाना।             धरा आसमां एक बनाकर,                सारे भेद मिटाना....                 कुछ ऐसा करके दिखाना,  गर्व  करें हर कोई तुम पर "तुम हो हिन्दुस्तानी"।   अन्धकार मे भी प्रकाश सा उजियारा हो,         सत्य घोष हो हर तरफ जय का नारा हो।           जाति-पाँति का फर्क मिटाकर,              सबको एक बनाना..    गर्व करे हर कोई तुम पर "तुम हो हिन्दुस्तान...

बच्चों के मन से

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                                          माँ ! तुम इतना बदली क्यों?                मेरी प्यारी माँ बन जाओ,                बचपन सा प्यार लुटाओ यों                माँ तुम इतना बदली क्यों?                                                                           बचपन में गिर जाता जमीं पर,               दौड़ी- दौड़ी आती थी।               गले मुझे लगाकर माँ तुम,               प्यार से यों सहलाती थी।               चोट को मेेर...

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