संदेश

मई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मन की उलझनें

चित्र
बेटे की नौकरी अच्छी कम्पनी में लगी तो शर्मा दम्पति खुशी से फूले नहीं समा रहे थे,परन्तु साथ ही उसके घर से दूर चले जाने से दुःखी भी थे । उन्हें हर पल उसकी ही चिंता लगी रहती ।  बार-बार उसे फोन करते और तमाम नसीहतें देते । उसके जाने के बाद उन्हें लगता जैसे अब उनके पास कोई काम ही नहीं बचा, और उधर बेटा अपनी नयी दुनिया में मस्त था ।   पहली ही सुबह वह देर से सोकर उठा और मोबाइल चैक किया तो देखा कि घर से इतने सारे मिस्ड कॉल्स! "क्या पापा ! आप भी न ! सुबह-सुबह इत्ते फोन कौन करता है" ? कॉलबैक करके बोला , तो शर्मा जी बोले, "बेटा ! इत्ती देर तक कौन सोता है ? अब तुम्हारी मम्मी थोड़े ना है वहाँ पर तुम्हारे साथ, जो तुम्हें सब तैयार मिले ! बताओ कब क्या करोगे तुम ?  लेट हो जायेगी ऑफिस के लिए" ! "डोंट वरी पापा ! ऑफिस  बारह बजे बाद शुरू होना है । और रात बारह बजे से भी लेट तक जगा था मैं ! फिर जल्दी कैसे उठता"? "अच्छा ! तो फिर हमेशा ऐसे ही चलेगा" ? पापा की आवाज में चिंता थी । "हाँ पापा ! जानते हो न कम्पनी यूएस"... "हाँ हाँ समझ गया बेटा ! चल अब जल्दी से अपन...

क्रिकेट जैसे खेल अमीरों के चोंचले

चित्र
  कन्स्ट्रक्शन एरिया में अकरम को देख शर्मा जी ने आवाज लगाई , "अरे अकरम ! बेटा आज तुम ग्राउण्ड में नहीं गये ? वहाँ तुम्हारी टीम हार रही है"। "नमस्ते अंकल ! नहीं, मैं नहीं गया" । (अकरम ने अनमने से कहा) तभी बीड़ी सुलगाते हुये कमर में लाल साफा बाँधे एक मजदूर शर्मा जी के सामने आकर बोला, "जी सेठ जी ! क्या काम पड़े अकरम से ? मैं उसका अब्बू" । "अरे नहीं भई, काम कुछ नहीं, वो,, मैं इसे क्रिकेट खेलते देखता हूँ । बहुत अच्छा खेलता है ये।  क्या कैच पकड़ता है !  बहुत बढ़िया !  क्रिकेट में आगे बढ़ाओ इसे। खूब खेलने दो। नाम रोशन कर देगा ये लड़का तुम्हारा ! शर्मा जी अकरम की तारीफों के पुल बाँधने लगे।  बड़ा सा कश भर बीड़ी को पत्थर पे बुझा वापस माचिस की डिबिया में रख,  कमर का साफा खोलकर सिर में बाँधते हुए मजदूर मुस्कुराकर बोला, "हाँ सेठ जी ! कैच तो बढ़िया पकड़े ये ! तभी तो आज से काम पर ले आया इसे ।  वो देखो ! फसक्लास ईंटा कैच कर रिया" । पहले माले में खड़ा अकरम बेसमेन्ट से फैंकी ईंटें बड़े अच्छे से कैच कर रहा था, बिल्कुल क्रिकेट बॉल की तरह । उसे देखते हुए शर्मा जी बोले ,  ...

आत्महत्या : माँ मेरी भी तो सुन लिया करो !

चित्र
  "माँ !  मैं बहुत परेशान हूँ , आप आ जाओ ना यहाँ मुझे मिलने, मुझे आपसे बात करनी है" । "बेटा परेशानियां तो आती जाती रहती हैं जीवन में , इनसे क्या घबराना । और मैं तेरे ससुराल आकर क्या करूँगी ! तेरे ससुराली मुझे देखकर पता नहीं क्या सोचेंगे, कहीं और न चिढ़ जायें ।  वैसे मैंने पंडित जी से तेरी और दामाद जी की कुण्डली दिखाई ।  कुछ ग्रहदोष हैं तो कल ग्रहशांति के लिए जप करवा रही हूँ, तू चिंता न कर ग्रहशांति के बाद सब ठीक हो जायेगा । सब्र से काम ले" । "माँ !  मैं जब भी आपसे बात करती हूँ आप पंडित और ग्रहदोष की बातें करने लगते हो , कभी मेरी भी तो सुन लिया करो ना" !   (माँ की बात बीच में काट कर सुषमा ने नाराज होते हुए कहा और फोन रख दिया) शीला को उसकी बहुत फिक्र थी परन्तु बेटी के घर का मामला है हमारे हस्तक्षेप से बात और ना बिगड़ जाय, यही सोचकर ना चाहते हुए भी टाल रही थी उसे। अगले दिन शीला ने मंदिर में  ग्रहशांति की पूजा रखवायी और बेटी के घर की सुख-शांति के लिए उपवास रखकर पूजन में बैठी ही थी कि तभी सुषमा का फोन आया । "माँ ! मैं बड़ी मुश्किल से इधर-उधर के बहाने बनाक...

लघु कविताएं - सैनर्यु

चित्र
  धार्मिक परम्पराओं एवं रीति रिवाजों पर बने हायकु सैनर्यु कहलाते हैं । हायकु की तरह ही सत्रह वर्णीय इस लघु कविता में तीन पंक्तियों में क्रमशः पाँच, सात, पाँच वर्णों की त्रिपदी में भावों की अभिव्यक्ति होती है।अतः सैनर्यु भी हायकु की तरह एक लघु कविता है जिसमें लघुता ही इसका गुण है और लघुता ही सीमा भी । प्राकृतिक बिम्ब एवं कीगो (~)  की अनिवार्यता के साथ कुछ सैनर्यु पर मेरा प्रथम प्रयास--   【1】 अक्षय तीज~ मूर्ति निकट खत रखे विद्यार्थी 【2】 ईद का चांद~ बालक मेमने को गोद में भींचे 【3】 कार्तिक साँझ~ पालकी में तुलसी बाराती संग 【4】 कार्तिक साँझ~ कदली पात पर हल्दी अक्षत 【5】 दुर्गा अष्टमी ~ बकरा सिर लेके मूर्तिपूजक 【6】 विवाहोत्सव~ शीश पे घट लिए धार पूजन (धार = पानी का प्राकृतिक स्रोत)

फ़ॉलोअर