संदेश

फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मन की उलझनें

चित्र
बेटे की नौकरी अच्छी कम्पनी में लगी तो शर्मा दम्पति खुशी से फूले नहीं समा रहे थे,परन्तु साथ ही उसके घर से दूर चले जाने से दुःखी भी थे । उन्हें हर पल उसकी ही चिंता लगी रहती ।  बार-बार उसे फोन करते और तमाम नसीहतें देते । उसके जाने के बाद उन्हें लगता जैसे अब उनके पास कोई काम ही नहीं बचा, और उधर बेटा अपनी नयी दुनिया में मस्त था ।   पहली ही सुबह वह देर से सोकर उठा और मोबाइल चैक किया तो देखा कि घर से इतने सारे मिस्ड कॉल्स! "क्या पापा ! आप भी न ! सुबह-सुबह इत्ते फोन कौन करता है" ? कॉलबैक करके बोला , तो शर्मा जी बोले, "बेटा ! इत्ती देर तक कौन सोता है ? अब तुम्हारी मम्मी थोड़े ना है वहाँ पर तुम्हारे साथ, जो तुम्हें सब तैयार मिले ! बताओ कब क्या करोगे तुम ?  लेट हो जायेगी ऑफिस के लिए" ! "डोंट वरी पापा ! ऑफिस  बारह बजे बाद शुरू होना है । और रात बारह बजे से भी लेट तक जगा था मैं ! फिर जल्दी कैसे उठता"? "अच्छा ! तो फिर हमेशा ऐसे ही चलेगा" ? पापा की आवाज में चिंता थी । "हाँ पापा ! जानते हो न कम्पनी यूएस"... "हाँ हाँ समझ गया बेटा ! चल अब जल्दी से अपन...

पराया धन - बेटी या बेटा

चित्र
                  चित्र, साभार pixabay से "अनुज सुन ! वो...पापा...पापा को हार्टअटैक आया है। भाई !  हम बहुत परेशान हैं माँ का रो - रोकर बुरा हाल है , ...हैलो ! हैलो ! अनुज तू सुन तो रहा है न" ?  सिसकते हुए अनु ने पूछा तो उधर से निधि (अनुज की पत्नी) बोली, "दीदी मैं सुन रही हूँ अनुज तो बाथरूम में हैं मैं बताती हूँ उन्हें"। "निधि तुम दोनों आ जाओ न । ऐसे वक्त में हमें तुम्हारी बहुत जरूरत है। प्लीज निधि ! अनुज को फोन करने को कहना ! ओके" ! कहकर अनु जल्दी से फोन रख दवाइयों का लिफाफा लेकर भागी। अनु कभी माँ को संभालती तो कभी दवाइयाँ वगैरह के लिए भागदौड़ करती फिर भी बार-बार मोबाइल स्क्रीन चैक करती कि कहीं अनुज की कॉल मिस न हो जाय ।  सुबह से शाम ढ़ल गयी पर अनुज का फोन नहीं आया तो अनु को लगा कि शायद सीधे आ रहे होंगे दोनों । इसलिए कॉल नहीं किया होगा। पापा की हालत जानकर परेशान हो गये होंगे बेचारे । माँ ने पूछा तो बता दिया कि निधि को बताया है शायद निकल पड़े होंगे इसीलिए फोन नहीं कर पाये होंगे। और माँ भी बेटे की बाट जोहने लगी।  ऑपरेशन सफल रहा...

आओ ! खुद से प्यार करें

चित्र
चित्र साभार pixabay.com से चलो स्वयं से इश्क लड़ाएं  कुछ मुस्काएं कुछ शरमाए ! एक गुलाब स्वयं को देकर वेलेंटाइन अपना मनाएं ! आओ खुद से प्यार करें! लव-शब कह इजहार करें! बने-ठने कुछ अपने लिए, दर्पण में आभार करें !! इक छोटी सी डेट पे जाएं , कॉफी संग कोई मेज सजाएं । कुछ कह लें कुछ सुन लें यारा! खुद से खुद की चैट कराएं !! खुदगर्जी नहीं खुद से प्यार यह तो तन मन का अधिकार तन-मन  से ही है ये जीवन कर लें जीवन का सत्कार !! अरमानों के बीच खड़े, दौलत के मायाजाल बड़े। कभी तो निकलें इन सब से, खुद से खुद के लिए लड़ें ! अपनों की परवाह हमें अपनी भी कुछ आज करें छोटी-छोटी फतह सराहें अपने पर कुछ नाज करें मरूथल से बीहड़ जीवन का  मन -आँगन गुल्जार करें ! वेलेंटाइन के अवसर पर आओ ! खुद से प्यार करें।।          

मुझे बड़ा नहीं होना

चित्र
चित्र साभार shutterstock  से... "दादू ! अब से न मैं आपको प्रणाम नहीं करूंगा"।हाथ से हाथ बाँधते हुए दादू के बराबर बैठकर मुँह बनाते हुए विक्की बोला। "अच्छा जी ! तो हाय हैलो करोगे या गुड मॉर्निंग, गुड नाइट वगैरह वगैरह ? सब चलेगा छोटे साहब! आखिर हम मॉडर्न विक्की के सुपर मॉडर्न दादू जो हैं । और हम तुम्हें हर हाल में वही आशीर्वाद देंगे जो हमेशा देते हैं....खुश रहो और जल्दी से बड़े हो जाओ" ! "ओह्ह! शिट् ! दादू! फिर से ? (चिढ़कर अपने नन्हें हाथों से सोफे पर मुक्का मारते हुए) प्लीज दादू चेंज कीजिए न अपना आशीर्वाद! स्पैशिली सैकिंड वाला "! "क्या ?  सैकिंड वाला आशीर्वाद !  चेंज करूँ ?  क्यों? बड़ा नहीं होना क्या" ? दादू ठठाकर हँस दिये। "नो दादू ! सच्ची में बड़ा नहीं होना । आप इसकी जगह कोई और आशीर्वाद दीजिए न , कोई भी" ।  विक्की की बात सुनकर दादू ने आश्चर्यचकित होकर पूछा। "पर क्यों ? कारण बतायेंगे हमारे छोटे साहब" ? "दादू! मैं बड़ा हुआ तो मम्मी-पापा बूढ़े जायेंगे न,  आपकी तरह। सोचके डर लगता है मुझे ! इसीलिए दादू!  मुझे बड़ा होने का आशीर्वाद ...

फ़ॉलोअर