आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं

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  आओ बच्चों ! अबकी बारी  होली अलग मनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । ऊँच नीच का भेद भुला हम टोली संग उन्हें भी लें मित्र बनाकर उनसे खेलें रंग गुलाल उन्हें भी दें  छुप-छुप कातर झाँक रहे जो साथ उन्हें भी मिलाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पिचकारी की बौछारों संग सब ओर उमंगें छायी हैं खुशियों के रंगों से रंगी यें प्रेम तरंगे भायी हैं। ढ़ोल मंजीरे की तानों संग  सबको साथ नचाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । आज रंगों में रंगकर बच्चों हो जायें सब एक समान भेदभाव को सहज मिटाता रंगो का यह मंगलगान मन की कड़वाहट को भूलें मिलकर खुशी मनाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । गुझिया मठरी चिप्स पकौड़े पीयें साथ मे ठंडाई होली पर्व सिखाता हमको सदा जीतती अच्छाई राग-द्वेष, मद-मत्सर छोड़े नेकी अब अपनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पढ़िए  एक और रचना इसी ब्लॉग पर ●  बच्चों के मन से

लघु कविताएं - सैनर्यु

 

Goat and girls

धार्मिक परम्पराओं एवं रीति रिवाजों पर बने हायकु सैनर्यु कहलाते हैं । हायकु की तरह ही सत्रह वर्णीय इस लघु कविता में तीन पंक्तियों में क्रमशः पाँच, सात, पाँच वर्णों की त्रिपदी में भावों की अभिव्यक्ति होती है।अतः सैनर्यु भी हायकु की तरह एक लघु कविता है जिसमें लघुता ही इसका गुण है और लघुता ही सीमा भी ।

प्राकृतिक बिम्ब एवं कीगो (~) की अनिवार्यता के साथ कुछ सैनर्यु पर मेरा प्रथम प्रयास--

 

【1】

अक्षय तीज~

मूर्ति निकट खत

रखे विद्यार्थी


【2】

ईद का चांद~

बालक मेमने को

गोद में भींचे


【3】

कार्तिक साँझ~

पालकी में तुलसी

बाराती संग


【4】

कार्तिक साँझ~

कदली पात पर

हल्दी अक्षत


【5】

दुर्गा अष्टमी ~

बकरा सिर लेके

मूर्तिपूजक


【6】

विवाहोत्सव~

शीश पे घट लिए

धार पूजन

(धार = पानी का प्राकृतिक स्रोत)





टिप्पणियाँ

  1. सुधा दी, शब्दो की इतनी कम मात्रा में अपनी भावनाएं व्यक्त करना सचमुच बहुत ही दुष्कर कार्य है। बहुत सुंदर सैनर्यु।

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    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद ए्ं आभार ज्योति जी, त्वरित प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करने हेतु।

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नैनवाल जी !

      हटाएं
  3. सादर आभार एवं धन्यवाद आ. जोशी जी!

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रथम प्रयास
    सैनरयु लिखने का
    अति सुंदर !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद डॉ. रश्मि जी !
      ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

      हटाएं
  5. सैनर्यू -
    शब्दों की सरस धार,
    स्वाद सुधा-सा!...... एक नयी विधा से परिचय कराने का सादर आभार सुधाजी!!!

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  6. सुंदर सरस हाइकु।
    सराहनीय प्रयास।

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  7. आज एक नया शब्द आपके बहाने जान गए हम ...
    सभी बहुत लाजवाब हाइकू हैं ...

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  8. पहली बार जाना हाइकु के इस प्रकार को. बहुत सुन्दर लिखा आपने। बधाई।

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  9. सैनर्यु ~ पहली बार इस विधा के विषय में जानकारी मिली । आभार ।
    सुंदर रचनाएँ ।

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  10. सार्थक एवं सुन्दर प्रयास।

    जवाब देंहटाएं
  11. पहली बार सैनर्यु के बारे में पढ़ा, वाकई छोटी छोटी पंक्तियों में एक सम्पूर्ण चित्र को उकेरने की कला है यह

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