हायकु
चित्र, साभार picabay.com से
[1]
कर स्पर्श से
लाजवन्ती सिकुड़ी ~
गाँव की राह
[2]
मावठ भोर~
फटी बंडी की जेब
टटोले वृद्ध
[3]
मकड़ीजाले~
जीर्ण झुग्गी में बैठे
वृद्ध युगल
[4]
ठूँठ झखाड़~
झरोखे में चिड़िया
तिनका दाबे
[5]
ज्येष्ठ मध्याह्न~
गन्ने लादे नारी के
नंगे कदम
[6]
कुहासा भोर~
मुड़ा खत पकड़े
माँ दूल्हे संग
[7]
भोर कुहासा~
बाला बाँधी फूलों की
तिरंगी बेणी
[8]
भोर लालिमा~
कूड़े के ढ़ेर संग
शिशु रूदन
[9]
श्रावण साँझ~
दलदल में फँसा
हाथी का बच्चा
[10]
मावठ भोर~
लहसुन की क्यारी में
नन्ही चप्पल
[11]
फाग पूर्णिमा~
महिला मुख पर
गोबर छींटे
[12]
गोस्त की गन्ध~
बालिका की गोद में
लेटा मेमना
टिप्पणियाँ
अभिनव सृजन।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२१-१०-२०२१) को
'गिलहरी का पुल'(चर्चा अंक-४२२४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु...
सस्नेह आभार।