बी पॉजिटिव

"ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ? कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला ! बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था । वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" । माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं । फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...
गति मन्द चन्द्र पर तरस आया उत्तम भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका कैलाश जी!
हटाएंआदि अंत का जटिल सत्य
जवाब देंहटाएंइनको न कभी भरमा पाया।
बहुत सुंदर चिंतन देती रचना सुधा जी, सुंदर भावपूर्ण सृजन।
चाँद के माध्यम से अपने सुंदर दर्शन दिया है,सूरज और चाँद के उदय अस्त पर सटीक भावाभिव्यक्ति।
सुंदर।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी!
हटाएंप्रखर रवि और सौम्य शशि
जवाब देंहटाएंदोनों ने ही जग चमकाया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति,सुधा दी।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 25 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.यशोदा जी मेरी रचना को पाँच लिंको का आनन्द के प्रतिष्ठित मंच पर साझा करने हेतु।
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. आलोक जी!
हटाएंस्वर्णिम रथ पे सवार है आज चांद । खूबसूरत बिम्बों से सजी सुंदर सार्थक रचना । करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंआपको भी करवाचौथ की अनंत शुभकामनाएं एवं बधाई।
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जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना ।
जवाब देंहटाएंबादल में छुपा चाँद ..... आज तो यहाँ बारिश हो रही । दिखेगा भी नहीं ।
करवा चौथ की शुभकामनाएँ
सही कहा आपने आज हमारे यहाँ भी दिन भर बारिश थी पर रात नौ बजे तक दीदार हो ही गये चाँद के...करवाचौथ सम्पन्न...आपको भी अनंत शुभकामनाएं।
हटाएंतहेदिल से धन्यवाद आपका।
वाह
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. जोशी जी!
हटाएंदी शीतलता दान विश्व को
जवाब देंहटाएंपूनम में है पाया मान
नन्हा सा ये बढ़ा शुक्ल में
पाक्षिक उम्र में वृहद ज्ञान
आज चतुर्थी के अरुणोदय
नभ में दिखी यूँ मलिन काया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
बहुत ही सुंदर सृजन 😍💓
बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मनीषा जी!
हटाएंबहुत बढ़िया प्रिय सुधा जी। प्रकृति में हर वस्तु अवसान की ओर अग्रसर है। चांद भी सृष्टि के इस नियम से इतर नहीं। पर चांद का सौभाग्य हैं कि वह पूर्णमासी के बाद घटता है तो अमावस के बाद अपने पूर्ण यौवन को पुनः प्राप्त भी कर लेता है। सबसे दुर्गति दोपाये मानव की है जिसके जीवन की सांझ का कोई सवेरा नहीं। भावपूर्ण अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक शुभकामनाएं आपको ❤️❤️🌷🌷
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जी!अनमोल प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु।
हटाएंदी कितनी अयोध्या जगमग सजी हैं
जवाब देंहटाएंपर ना कहीं कोई राम आ रहा है
कष्टों के बादल कहर ढ़ा रहे हैं
पर्वत उठाने ना श्याम आ रहा है
दीवाली गयी अब दिये बुझ गये सब
वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है।
अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है
तमस राज अपना फैला रहा है.....।👌👌👌👌👌🙏🌷🌷🌷🌷🌷