गति मन्द चंद्र पे तरस आया
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बाद पूनम के चाँद वृद्ध सा
सफर न पूरा कर पाया।
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया।
दी शीतलता दान विश्व को
पूनम में है पाया मान
नन्हा सा ये बढ़ा शुक्ल में
पाक्षिक उम्र में वृहद ज्ञान
आज चतुर्थी के अरुणोदय
नभ में दिखी यूँ मलिन काया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
हर भोर उद्भव चमक रवि
हर साँझ फिर अवसानी है
दिन मात्र जीवन सफर विश्व
सम और ना गतिमानी है
आदि अंत का जटिल सत्य
इनको न कभी भरमा पाया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
नसीहत सदा देती प्रकृति
हम सीखते ही हैं कहाँ
नीयत से ही बनती नियति
कर्मठ बताते हैं यहाँ
प्रखर रवि और सौम्य शशि
दोनों ने ही जग चमकाया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
टिप्पणियाँ
इनको न कभी भरमा पाया।
बहुत सुंदर चिंतन देती रचना सुधा जी, सुंदर भावपूर्ण सृजन।
चाँद के माध्यम से अपने सुंदर दर्शन दिया है,सूरज और चाँद के उदय अस्त पर सटीक भावाभिव्यक्ति।
सुंदर।
दोनों ने ही जग चमकाया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति,सुधा दी।
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपको भी करवाचौथ की अनंत शुभकामनाएं एवं बधाई।
बादल में छुपा चाँद ..... आज तो यहाँ बारिश हो रही । दिखेगा भी नहीं ।
करवा चौथ की शुभकामनाएँ
तहेदिल से धन्यवाद आपका।
पूनम में है पाया मान
नन्हा सा ये बढ़ा शुक्ल में
पाक्षिक उम्र में वृहद ज्ञान
आज चतुर्थी के अरुणोदय
नभ में दिखी यूँ मलिन काया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
बहुत ही सुंदर सृजन 😍💓
पर ना कहीं कोई राम आ रहा है
कष्टों के बादल कहर ढ़ा रहे हैं
पर्वत उठाने ना श्याम आ रहा है
दीवाली गयी अब दिये बुझ गये सब
वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है।
अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है
तमस राज अपना फैला रहा है.....।👌👌👌👌👌🙏🌷🌷🌷🌷🌷