उफ्फ ! ये बच्चे भी न.. ...
माँ--बिन्नी तुमने अभी तक फल नहीं खाये ? चिप्स कुरकुरे तो फट से चटकारे ले लेकर खाते हो और फलों के लिए नाक-मुँह सिकोड़ते हो । अरे कम से कम ये अनार के दाने तो खा लिये होते ! क्या होगा तुम्हारा ? पौष्टिकता कहाँ से आयेगी शरीर में ? आ इधर आ मेरे सामने ! और ये सारे फल खाकर खत्म कर !
बिन्नी-- माँ ! मन नहीं हैं फल खाने का........और ये अनार ! ये मुझे क्या पौष्टिक बनायेंगे , देखो न माँ! इन्हें तो खुद ही हीमोग्लोबिन की जरुरत है ।....
मुट्ठी भर अनार उठा कुछ खाती कुछ गिराती बिन्नी वहाँ से खिसक ली।
माँ ने अनार के सफेद दानों को गौर से देखा और बुदबुदाते हुए बोली सच में हीमोग्लोबिन की जरूरत तो है इन्हें.....और हँसी रोक न पायी।
घी सीधी उँगली से न निकले तो......
धड़ाम की आवाज सुनकर पल्लवी हड़बड़ाकर भागते हुए सासू माँ के कमरे में पहुँची तो वहाँ का नजारा देखकर दंग रह गयी... टॉफियों का डिब्बा फर्श में ओंधा गिरा है और तनु और मनु (उसके बेटे) लपक लपक कर कमरे में बिखरी टॉफियां उठाकर अपनी जेब भर रहे हैं....।
ये क्या है तनु मनु ? ये डिब्बा क्यों गिराया तुमने ?टॉफी चाहिए थी तो माँग भी तो सकते थे न ? पल्लवी ने सख्त लहजे में फटकार लगाई तो दोनों बड़ी मासूमियत से बोले माँगते तो बस दो - दो टॉफी मिलती न मम्मा ! पर हमें ज्यादा चाहिए थी।
दो- दो टॉफी कम हैं क्या?...और ज्यादा पाने के लिए पूरा डिब्बा ही उलट दिया तुमने ? क्यों ...? गुस्से से तिलमिलाते हुए उसने पूछा।
हाँ मम्मा ! आज दादी ने कहा न सुबह जब घी सीधी उँगली से न निकले तो....तो डिब्बा उल्टा करना पड़ता है।
डिब्बा उल्टा ?..... अरे ! ऐसा कब कहा दादी ने ? दादी ने तो ये कहा कि उँगली टेढ़ी करनी पड़ती है....।
पर उँगली क्यों टेढ़ी करनी मम्मा ..? हमने तो डिब्बा ही उलट दिया...एक दूसरे के हाथ से ताली बजा दोनों खिलखिलाते हुए वहाँ से फरार हो गये और पल्लवी मुहावरे मे ही उलझी रह गयी।
टिप्पणियाँ
बच्चों की मासूमियत उनकी ये शरारतें उनकी बचपन की
अनमोल स्मृतियाँ ही माता-पिता के बुढ़ापे का खज़ाना होती हैं।
बेहद जीवंत चित्रण करती है आपकी लेखनी।
सस्नेह।
यूँ ये संस्मरण भी हो सकते हैं ।
सादर आभार ।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-8-21) को "भावनाओं से हैं बँधें, सम्बन्धों के तार"(चर्चा अंक- 4164) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। आप सभी को रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
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कामिनी सिन्हा
रोचक किस्सा ...
बहुत बहुत धन्यवाद।