मन की उलझनें
बेटे की नौकरी अच्छी कम्पनी में लगी तो शर्मा दम्पति खुशी से फूले नहीं समा रहे थे,परन्तु साथ ही उसके घर से दूर चले जाने से दुःखी भी थे । उन्हें हर पल उसकी ही चिंता लगी रहती । बार-बार उसे फोन करते और तमाम नसीहतें देते । उसके जाने के बाद उन्हें लगता जैसे अब उनके पास कोई काम ही नहीं बचा, और उधर बेटा अपनी नयी दुनिया में मस्त था । पहली ही सुबह वह देर से सोकर उठा और मोबाइल चैक किया तो देखा कि घर से इतने सारे मिस्ड कॉल्स! "क्या पापा ! आप भी न ! सुबह-सुबह इत्ते फोन कौन करता है" ? कॉलबैक करके बोला , तो शर्मा जी बोले, "बेटा ! इत्ती देर तक कौन सोता है ? अब तुम्हारी मम्मी थोड़े ना है वहाँ पर तुम्हारे साथ, जो तुम्हें सब तैयार मिले ! बताओ कब क्या करोगे तुम ? लेट हो जायेगी ऑफिस के लिए" ! "डोंट वरी पापा ! ऑफिस बारह बजे बाद शुरू होना है । और रात बारह बजे से भी लेट तक जगा था मैं ! फिर जल्दी कैसे उठता"? "अच्छा ! तो फिर हमेशा ऐसे ही चलेगा" ? पापा की आवाज में चिंता थी । "हाँ पापा ! जानते हो न कम्पनी यूएस"... "हाँ हाँ समझ गया बेटा ! चल अब जल्दी से अपन...
मित्रों से भी विनय करती सोनल
जवाब देंहटाएंआप भी रखना छत पर थोड़ा जल ।
प्रेरित करती हुई पंक्तियाँ।
हृदयतल से आभार संजय जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 24 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंसादर आभार....।
सुधा जी आपकी लिखी रचना को मेरी धरोहर ब्लॉग पर 24 फरवरी 2020 को साझा की गई है
जवाब देंहटाएंसदर
मेरी धरोहर
सहृदय धन्यवाद संजय जी !
हटाएंसादर आभार।
बहुत ही सुंदर व प्यारी सी रचना, जो पाठकों को मंत्रमुग्ध कर रही है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद, पुरुषोत्तम जी !
हटाएंसादर आभार।
बहुत प्रेरणा दायक बाल कविता।
जवाब देंहटाएंबच्चों के साथ बड़े भी इन संवेदनाओं पर ध्यान रखें तो सब कुछ अच्छा हो सकता है ।
सुंदर सृजन सुधा जी।
तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी!
हटाएंसादर आभार।
बहुत प्यारी रचना । नन्हीं सोनल के माध्यम से अच्छी प्रेरणा देती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी!
हटाएंबहुत सुंदर प्रेरणादायक रचना, सुधा दी।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी!
हटाएंप्रकृति की व्यथा
जवाब देंहटाएंचिड़िये की कथा।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी!
हटाएंवाह!बहुत खूबसूरत ,प्रेरणादायक सृजन सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार शुभा जी!
हटाएंबहुत अच्छी लगी,अच्छी बातें सिखाती यह कविता ।
जवाब देंहटाएंसुधा जी,अभिनंदन ।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नुपुरं जी!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
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