आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं

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  आओ बच्चों ! अबकी बारी  होली अलग मनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । ऊँच नीच का भेद भुला हम टोली संग उन्हें भी लें मित्र बनाकर उनसे खेलें रंग गुलाल उन्हें भी दें  छुप-छुप कातर झाँक रहे जो साथ उन्हें भी मिलाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पिचकारी की बौछारों संग सब ओर उमंगें छायी हैं खुशियों के रंगों से रंगी यें प्रेम तरंगे भायी हैं। ढ़ोल मंजीरे की तानों संग  सबको साथ नचाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । आज रंगों में रंगकर बच्चों हो जायें सब एक समान भेदभाव को सहज मिटाता रंगो का यह मंगलगान मन की कड़वाहट को भूलें मिलकर खुशी मनाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । गुझिया मठरी चिप्स पकौड़े पीयें साथ मे ठंडाई होली पर्व सिखाता हमको सदा जीतती अच्छाई राग-द्वेष, मद-मत्सर छोड़े नेकी अब अपनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पढ़िए  एक और रचना इसी ब्लॉग पर ●  बच्चों के मन से

सियासत और दूरदर्शिता

Corrupt politicians

                                                           

प्रभु श्री राम के रीछ-वानर हों या,
श्री कृष्ण जी के ग्वाल - बाल

महात्मा बुद्ध के परिव्राजक हों या,
महात्मा गाँधी जी के  सत्याग्रही

दूरदर्शी थे समय के पारखी थे,
समय की गरिमा को पहचाने थे

अपनी भूमिका को निखारकर
जीवन अपना संवारे थे

आजकल भी कुछ नेता बड़े दूरदर्शी हो गये,
देखो ! कैसे दल-बदल मोदी -लहर में बह गये

इसी को कहते हैं चलती का नाम गाड़ी,
गर चल दिया तो हुआ सयाना
छूट गया तो हुआ अनाड़ी ।

नीतीश जी को ही देखिये, कैसे गठबंधन छोड़ बैठे !
व्यामोह के चक्रव्यूह से, कुशलता से निकल बैठे !

दूरदर्शिता के परिचायक नीतीश जी
 राजनीति के असली दाँव पेंच चल बैठे।

भाजपा का दामन पकड़ अनेक नेता सफल हो गये
दल - बदलू बनकर ये सियासत के रंग में रंग लिये

बहुत बड़ी बात है,देशवासियों का विश्वासमत हासिल करना !
उससे भी बड़ी बात है विश्वास पर खरा उतरना
आगे - आगे देखते हैं भाजपा करती है क्या?
 सभी के विश्वास पर खरी भी उतरती है क्या ?
                                                                                                चित्र साभार गूगल से

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. विरोधी चल रहे हैं अपनी चालें
    विश्वास मोदी पर ज़रा जमा लें ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आज जब आपकी ये रचना पढ़ रहीं हूं तब तक नितिश जी ने फिर दल बदल लिया 😂

    और संगीता दी ने सही कहा। खैर, ये तो राजनीति की बात थी जहां तक कविता की बात है तो हमेशा की तरह लाजबाव सृजन 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. उस समय का सामायिक विवरण देती रचना।

    जवाब देंहटाएं

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