बी पॉजिटिव

"ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ? कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला ! बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था । वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" । माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं । फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (21-09-2019) को " इक मुठ्ठी उजाला "(चर्चा अंक- 3465) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
हृदयतल से धन्यवाद अनीता जी! आभारी हूँ आपके सहयोग के लिए...
हटाएंमाँ का आशीष हमेशा रहे
जवाब देंहटाएंप्रभु ! इतना हमें "वर" दे...
माँ से ही तो है संसार ये..
माँ के चरणों में हम बने रहें...
बहुत सुन्दर सृजन सुधा जी ... मांँ को समर्पित लाजवाब भावाभिव्यक्ति ।
हार्दिक धन्यवाद मीना जी !
हटाएंसादर आभार...
जवाब देंहटाएंमाँ के ख्वाबों को आबाद कर
मंजिलों तक पहुँच पायेंं हम
सपने बिखरे न माँ के कोई
काम इतना तो कर जाएंं हम।
वाह सुधा जी मां पर इतनी मन को छू ने वाली रचना आपकी मन मोह गई ।
उत्कृष्ट सृजन।
बहुत बहुत आभार कुसुम जी !
जवाब देंहटाएंपृथ्वी-सी धीर-गंभीर ममतामयी माँ के आँचल में भरा होता है तीनों लोकों का प्यार.
जवाब देंहटाएंएक हृदयस्पर्शी रचना जो पाठक को अधूरी-सी लग सकती है क्योंकि आपने इस अभिव्यक्ति को न्यूनतम शब्दों में क़रीने से समेट दिया है.
बधाई एवं शुभकामनाएँ.
लिखते रहिए.
बहुत बहुत धन्यवाद रविन्द्र जी रचना पर अपने भाव स्पष्ट करने के लिए.......
जवाब देंहटाएंजी सचमुच रचना छोटी सी है...।
सादर आभार ।
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (5 -8 -2020 ) को "एक दिन हम बेटियों के नाम" (चर्चा अंक-3784) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार, कामिनी जी चर्चा मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु।
हटाएंतेरा आशीष मिलता रहे
जवाब देंहटाएंबस इतना सुधर जायें हम
हाथ सर में रखे माँ सदा
चरणों में जगह पायें हम....
बेहतरीन रचना सखी 👌
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद सखी!
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