बी पॉजिटिव

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  "ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ?   कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला !  बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और  बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था ।  वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" ।   माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं ।   फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...

ध्वज तिरंगा हाथ लेकर....

Indian flag


ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
      इक हवा फिर से बहेगी
देश की वैदिक कथा को
     विश्व भर में फिर कहेगी

है सनातन धर्म अपना,
      देश की गरिमा बढ़ाता।
वेद में ब्रह्मांड पढ़कर
    विज्ञान भी है मात खाता।
श्रेष्ठ चिन्तन आचरण की,
     भावना  मन में   बढ़ेगी ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
      इक हवा फिर से बहेगी ।

व्यथित होंगे जन तन मन से,
          सूझेगा न जब उपचार दूजा ।
आज जो अनभिज्ञ हमसे,
          कल  करेंगे  हवन  पूजा ।
शुद्ध इस वातावरण से,
         एक खुशबू फिर बढ़ेगी ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
       इक हवा फिर से बहेगी ।


विश्वगुरू बन देश अपना,
       पद पे फिर आसीन होगा ।
योग और संयोग के बल,
      क्रांति नव संदेश देगा ।
वसुधैव कुटुम्बकम की,
         भावना फिर से फलेगी।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर ,
      इक हवा फिर से बहेगी ।

                     चित्र साभार गूगल से....

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुन्दर सकारात्मक संदेश देती उर्जावान काव्य रचना. 👏 👏 👏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ सुधा जी !बहुत बहुत धन्यवाद आपका.....।

      हटाएं
  2. वाह!!बेहतरीन रचना सुधा जी ।
    जरूर बनेगा विश्व गुरु 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी शुभा जी !हृदयतल से आभार एवं धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद जेन्नी शबनम जी!
      अत्यंत आभार।

      हटाएं
  4. बहुत सुंदर सकारात्मक ऊर्जा देती रचना

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    उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद रितु जी !
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. आभारी हूँ जोया जी !
      बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  6. सकारात्मक संदेश देती बहुत सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी !
      सस्नेह आभार आपका।

      हटाएं
  7. सहृदय धन्यवाद अनीता जी !मेरी रचना साझा करने हेतु....।
    अत्यंत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर, सरस और सकारात्मक रचना। बधाई और आभार!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद विश्वमोहन जी ! उत्साहवर्धन हेतु...।
      सादर आभार।

      हटाएं

  9. विश्वगुरू बन देश अपना,
    पद पे फिर आसीन होगा ।
    योग और संयोग के बल,
    नवक्रांति का संदेश देगा ।

    बहुत खूब ,आपकी ये सोच सिर्फ एक आस या संदेश नहीं हैं ये यथार्थ होकर रहेगा ,भारत के जिन वैदिक कर्मकाण्डों को हम भारतवासियो ने ही नाकर दिया था उसे फिर से पुरे मान के साथ हमें अपनाना ही होगा ,बहुत ही लाज़बाब सृजन सुधा जी ,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ कामिनी जी आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु...हृदयतल से धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  10. सकारात्मक संदेश देती रचना...ऐसी रचनाओं से ऊर्जा मिलती है

    जवाब देंहटाएं
  11. आमीन ...
    जो आप कह रही हैं काश ऐसा समय हम सब जीते जी ही देख सकें ...
    देश का पुनः निर्माण जरूरी है ... तिरंगे का मान जरूरी है ... बहत ही सुन्दर ओजस्वी शब्दों से लाजवाब रचना का सृजन ....

    जवाब देंहटाएं
  12. हार्दिक धन्यवाद नासवा जी! उत्साहवर्धन हेतु...
    सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सकारात्मक और ऊर्जावान सृजन सुधा जी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ मीना जी ! बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

      हटाएं

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