और एक साल बीत गया
प्रदत्त पंक्ति 'और एक साल बीत गया' पर मेरा एक प्रयास
और एक साल बीत गया
दिन मास पल छिन
श्वास तनिक रीत गया
हाँ ! और एक साल बीत गया !
ओस की सी बूँद जैसी
उम्र भी टपक पड़ी
अंत से अजान ऐसी
बेल ज्यों लटक खड़ी
मन प्रसून पर फिर से
आस भ्रमर रीझ गया
और एक साल बीत गया !
साल भर चैन नहीं
पाने की होड़ लगी
और, और, और अधिक
संचय की दौड़ लगी
भान नहीं पोटली से
प्राण तनिक छीज गया
और एक साल बीत गया !
जो है सहेज उसे
चैन की इक श्वास तो ले
जीवन उद्देश्य जान
सुख की कुछ आस तो ले
मन जो संतुष्ट किया
वो ही जग जीत गया
और एक साल बीत गया !
नववर्ष के अग्रिम शुभकामनाओं के साथ पढ़िए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर --
बर्ष कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता,,,कुछ अच्छा बीते तो मन खुश वरना मन खट्टा कर निकल जाता है,,,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति,,,
नव वर्ष मंगलमय हो आपका,,,
सुधा जी, अभी पूरा साल कहाँ बीता है?
जवाब देंहटाएंअभी भी इस साल के बीतने में दो दिन से ज़्यादा का वक़्त बाक़ी है.
हम इस साल के बाक़ी के दिन अगर आपकी इस ख़ूबसूरत कविता का आनंद लेते हुए बिताएंगे तो आने वाला हमारा साल बड़ा ख़ुशगवार बीतेगा.
बहुत सुंदर सृजन सुधा जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन सुधा जी
हटाएंमीना शर्मा
behad khubsurat
जवाब देंहटाएंMore Hindi poetry - https://www.youtube.com/watch?v=OChK_3FHBKQ
वाह! सखी ,बेहतरीन सृजन!
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर अभिव्यक्ति दी।
जवाब देंहटाएंअनवरत चल रहे पलों के खट्टी-मीठी स्मृतियों से गूँथा जीवन बस रीत ही रहा है। दार्शनिक, व्यवहारिक ,यथार्थ वादी भावों के मिश्रण से बनी कविता मानों संपूर्ण वर्ष का लेखा जोखा कह रही।
सस्नेह प्रणाम दी।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ३१ दिसम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
नववर्ष की सुभकामनाएं | सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ सुधा जी ! जीवन की आपाधापी में गुजरते समय का लाजवाब वर्णन करती बहुत सुन्दर कविता ।
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