धन्य हुए योगिराज, बनाई पावन मूरत
कुण्डलिया छंद
मूरत अद्भुत राम की, श्यामल सुन्दर रुप ।
स्मित अधर सरसिज नयन,शोभा अतुल अनूप ।
शोभा अतुल अनूप , वसन पीतांबर सोहे ।
गल भूषण बनमाल, छवि आलोक मनमोहे ।
निरखि सुधा सुध भूलि, मनोहर श्यामल सूरत।
धन्य हुए योगिराज, बनाई पावन मूरत ।
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राम विराजे अवधपुरी, मची देश में धूम ।
राम राम जपते सभी, नाच रहे हैं झूम ।
नाच रहे हैं झूम, लगी गणतंत्र में झाँकी ।
राम हि बस देखें सुने, भक्ति राम की आँकी ।
कहे सुधा सुन मीत,भक्ति का डंका बाजे ।
कर्म करें निष्काम, हृदय में राम विराजे ।
पढ़िएभक्ति भाव पर आधारित मनहरण घनाक्षरी छंद में मेरी एक और रचना ..
टिप्पणियाँ
धन्य हुए योगिराज, बनाई पावन मूरत ।
सचमुच अद्भभुत सृजन किया है मूर्तिकार ने
बहुत ही सुन्दर सृजन सुधा जी 🙏
जय श्री राम 🙏
गल भूषण बनमाल, छवि आलोक मनमोहे ।
निरखि सुधा सुध भूलि, मनोहर श्यामल सूरत।
#जयश्रीराम