मिला कुण्डली ब्याहते

Arranged marriage dohe


मिला कुण्डली ब्याहते, ग्रह गुण मेल आधार ।

अजनबी दो एक बन, बसे नया घर - बार ।


निकले दिन हफ्ते गये,  गये मास फिर साल ।

कुछ के दिल मिल ही गये, कुछ का खस्ता हाल।


दिल मिल महकी जिंदगी, घर आँगन गुलजार ।

जोड़ी जो बेमेल सी, जीवन उनका भार ।


कुछ इकतरफा प्रेम से, सींचे निज संसार ।

साथी से मिलता नहीं, इक कतरा भी प्यार ।


कुछ को बिछड़े प्रेम का, गहराया उन्माद ।

जीवन आगे बढ़ रहा, ठहरे यादों साथ।


साथी में ढूँढ़े सदा, अपना वाला प्यार।

गुण उसके दिखते नहीं, करते व्यर्थ प्रहार ।


अनदेखा कर आज को, बीती का कर ध्यान ।

सुख समृद्धि विहीन ये, जीवन नरक समान ।




टिप्पणियाँ

yashoda Agrawal ने कहा…
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 18 सितंबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
Meena Bhardwaj ने कहा…

गृहस्थ जीवन के सार तत्व का आकलन करता अत्यंत सुन्दर सृजन ॥
Sudha Devrani ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मीना जी !
Onkar ने कहा…
बहुत बढ़िया
Madhulika Patel ने कहा…
जी आपने बहुत ही सुंदर तरीक़े से लेखनी के माध्यम से सत्य कहा है विचारों का मिलना जीवन में बहुत मायने रखता है ।
Sudha Devrani ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद एव आभार आ.ओंकार जी !
Sudha Devrani ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी !
Sudha Devrani ने कहा…
जी, मधुलिका जी !अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।
Ritu asooja rishikesh ने कहा…
वर्तमान परिदृश्य को दर्शाती सुन्दर प्रस्तुती.
गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…
प्रगतिशील विचार !
कुण्डली मिलाना, गृह मिलाना आदि सर्वथा अवैज्ञानिक है और पंडितों की धूर्त कमाई का साधन है.
आज के युग में अरेंज्ड मैरिज की भी कोई उपयोगिता नहीं रह गयी है.
लड़का-लड़की एक-दूसरे को पहले कुछ जानें, कुछ समझें, अपने दम पर घर-गृहस्थी चलाने लायक बनें, तभी उनकी शादी करने की बात होनी चाहिए.
Sudha Devrani ने कहा…
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार रितु जी !
Sudha Devrani ने कहा…
जी, आ. सर ! आपका हृदयतल से आभार एवं धन्यवाद । आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ।
सादर नमन 🙏🙏🙏🙏

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