बी पॉजिटिव

"ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ? कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला ! बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था । वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" । माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं । फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...
मित्रों से भी विनय करती सोनल
जवाब देंहटाएंआप भी रखना छत पर थोड़ा जल ।
प्रेरित करती हुई पंक्तियाँ।
हृदयतल से आभार संजय जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 24 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंसादर आभार....।
सुधा जी आपकी लिखी रचना को मेरी धरोहर ब्लॉग पर 24 फरवरी 2020 को साझा की गई है
जवाब देंहटाएंसदर
मेरी धरोहर
सहृदय धन्यवाद संजय जी !
हटाएंसादर आभार।
बहुत ही सुंदर व प्यारी सी रचना, जो पाठकों को मंत्रमुग्ध कर रही है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद, पुरुषोत्तम जी !
हटाएंसादर आभार।
बहुत प्रेरणा दायक बाल कविता।
जवाब देंहटाएंबच्चों के साथ बड़े भी इन संवेदनाओं पर ध्यान रखें तो सब कुछ अच्छा हो सकता है ।
सुंदर सृजन सुधा जी।
तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी!
हटाएंसादर आभार।
बहुत प्यारी रचना । नन्हीं सोनल के माध्यम से अच्छी प्रेरणा देती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी!
हटाएंबहुत सुंदर प्रेरणादायक रचना, सुधा दी।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी!
हटाएंप्रकृति की व्यथा
जवाब देंहटाएंचिड़िये की कथा।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी!
हटाएंवाह!बहुत खूबसूरत ,प्रेरणादायक सृजन सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार शुभा जी!
हटाएंबहुत अच्छी लगी,अच्छी बातें सिखाती यह कविता ।
जवाब देंहटाएंसुधा जी,अभिनंदन ।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नुपुरं जी!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
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