आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं

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  आओ बच्चों ! अबकी बारी  होली अलग मनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । ऊँच नीच का भेद भुला हम टोली संग उन्हें भी लें मित्र बनाकर उनसे खेलें रंग गुलाल उन्हें भी दें  छुप-छुप कातर झाँक रहे जो साथ उन्हें भी मिलाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पिचकारी की बौछारों संग सब ओर उमंगें छायी हैं खुशियों के रंगों से रंगी यें प्रेम तरंगे भायी हैं। ढ़ोल मंजीरे की तानों संग  सबको साथ नचाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । आज रंगों में रंगकर बच्चों हो जायें सब एक समान भेदभाव को सहज मिटाता रंगो का यह मंगलगान मन की कड़वाहट को भूलें मिलकर खुशी मनाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । गुझिया मठरी चिप्स पकौड़े पीयें साथ मे ठंडाई होली पर्व सिखाता हमको सदा जीतती अच्छाई राग-द्वेष, मद-मत्सर छोड़े नेकी अब अपनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पढ़िए  एक और रचना इसी ब्लॉग पर ●  बच्चों के मन से

चुप सो जा ! मेरे मन ! चुप सो जा !!

   Multiple faces of a single person

       
 रात छाई है घनी, पर कल सुबह होनी नयी,
        कर बन्द आँखें ,  सब्र रख तू ,
            मत रो ,मुझे न यूँ सता !
चुप सो जा !  मेरे मन ! चुप सो जा !!
    
 तब तक तू चुप सोया ही रह !
     जब तक न हो जाये सुबह 
   नींद में सपनों की दुनिया तू सजा !
चुप सो जा ! मेरे मन ! चुप सो जा !!
      
सोना जरुरी है नयी शुरुआत करनी है 
      भूलकर सारी मुसीबत, आस भरनी है 
   जिन्दगी के खेल फिर-फिर खेलने तू जा !
चुप सो जा ! मेरे मन ! चुप सो जा !!
     
सोकर जगेगा तब नया सा प्राण पायेगा 
    जो खो दिया अब तक, उसे भी भूल जायेगा 
   पाकर नया कुछ, फिर पुराना तू यहाँ खो जा
चुप सो जा ! मेरे मन ! चुप सो जा !!
    
दस्तूर हैं दुनिया के कुछ वो तू भी सीख ले 
     है सुरमई सुबह यहाँ,  तो साँझ भी ढ़ले 
    चिलमिलाती धूप है तो स्याह सी है रात भी
     है तपिश जब दुपहरी तो छाँव की सौगात भी
    
 दुःख नरक से लग रहे तो स्वर्ग भी है जिन्दगी 
     चाह सुख की है तुझे तो कर ले तू भी बन्दगी !
       पलकों में उम्मीदी भरे सपने सजा !
चुप सो जा ! मेरे मन ! चुप सो जा !!
                                                               
                                  
  चित्र- "साभार गूगल  से"

टिप्पणियाँ

  1. है तपिश जब दुपहरी,तो छाँव की सौगात भी...
    दुःख नरक से लग रहे तो, स्वर्ग भी है जिन्दगी ;
    चाह सुख की है तुझे तो ,कर ले तू भी बन्दगी....!
    पलकों में उम्मीदों के सपने तू सजा...... ...!
    चुप सो जा.......मेरे मन...........चुप सो जा...........!!!
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, सुधा दी।

    जवाब देंहटाएं
  2. तहेदिल से धन्यवाद ज्योति जी!
    सस्नेह आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. गोपेश मोहन जैसवाल2 अगस्त 2021 को 7:01 am बजे

    नैराश्य के अंधकार को सुलाने वाली और आशा के दीप जलाने वाली बहुत सुन्दर लोरी !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद सर! अनमोल प्रतिक्रिया से मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु।

      हटाएं
  4. कितनी सहजता से मन को समझा रही हैं । सच है कि हर रात के बाद सुबह होती है इसी लिए मन को धैर्य रखने के लिए मन को भी सोने के लिए कहा जा रहा है । सुंदर रचना ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद आ.संगीता जी आपकी अनमोल प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ..
      सादर आभार।

      हटाएं

  5. दस्तूर हैं दुनिया के कुछ, तू भी सीख ले ;
    है सुरमई सुबह यहाँ, तो साँझ भी ढ़ले ,
    चिलमिलाती धूप है, तो स्याह सी है रात भी....
    है तपिश जब दुपहरी,तो छाँव की सौगात भी...
    दुःख नरक से लग रहे तो, स्वर्ग भी है जिन्दगी ;
    चाह सुख की है तुझे तो ,कर ले तू भी बन्दगी....!
    पलकों में उम्मीदों के सपने तू सजा...... ...!
    चुप सो जा.......मेरे मन...........चुप सो जा...........!!!...बहुत ही सुंदर और भावों से सराबोर कविता,इस अंतरा ने तो सभी की जिदंगी को अपने से जोड़ लिया,हर मन के एहसासों की सुंदर लड़ी जैसी कविता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं आपको सुधा जी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी! सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया द्वारा मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु।

      हटाएं
  6. सोकर जगेगा, तब नया सा प्राण पायेगा ,
    जो खो दिया अब तक, उसे भी भूल जायेगा ;
    पाकर नया कुछ, फिर पुराना तू यहाँ खो जा.......
    *चुप सो जा ..........मेरे मन.........चुप सो जा*........!!! बेहद सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति सखी।

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  7. बहुत खूब... मन को छू लिया...��

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही खूबसूरत लिखा है आपने🙏

    जवाब देंहटाएं
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    1. तहेदिल से धन्यवाद मीनू गुप्ता जी !
      ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

      हटाएं

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