आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं
आओ बच्चों ! अबकी बारी
होली अलग मनाते हैं
जिनके पास नहीं है कुछ भी
मीठा उन्हें खिलाते हैं ।
ऊँच नीच का भेद भुला हम
टोली संग उन्हें भी लें
मित्र बनाकर उनसे खेलें
रंग गुलाल उन्हें भी दें
छुप-छुप कातर झाँक रहे जो
साथ उन्हें भी मिलाते हैं
जिनके पास नहीं है कुछ भी
मीठा उन्हें खिलाते हैं ।
पिचकारी की बौछारों संग
सब ओर उमंगें छायी हैं
खुशियों के रंगों से रंगी
यें प्रेम तरंगे भायी हैं।
ढ़ोल मंजीरे की तानों संग
सबको साथ नचाते हैं
जिनके पास नहीं है कुछ भी
मीठा उन्हें खिलाते हैं ।
आज रंगों में रंगकर बच्चों
हो जायें सब एक समान
भेदभाव को सहज मिटाता
रंगो का यह मंगलगान
मन की कड़वाहट को भूलें
मिलकर खुशी मनाते हैं
जिनके पास नहीं है कुछ भी
मीठा उन्हें खिलाते हैं ।
गुझिया मठरी चिप्स पकौड़े
पीयें साथ मे ठंडाई
होली पर्व सिखाता हमको
सदा जीतती अच्छाई
राग-द्वेष, मद-मत्सर छोड़े
नेकी अब अपनाते हैं
जिनके पास नहीं है कुछ भी
मीठा उन्हें खिलाते हैं ।
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भेदभाव को सहज मिटाता
जवाब देंहटाएंरंगो का यह म़गलगान
मन की कड़वाहट को भूलें
मिलकर खुशी मनाते हैं
जिनके पास नहीं है कुछ भी
मीठा उन्हें खिलाते हैं ।
राम, राम ! हमारे उत्तर प्रदेश में ऐसी गुस्ताख़ी करने की हिम्मत भी मत कीजिएगा ! वैसे होलिकोत्सव आप सबके लिए शुभ हो, यही मंगल कामना है.
तहेदिल से धन्यवाद आ. सर !
हटाएंआपको भी रंगपर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏
सुधा जी बहुत प्यारी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरंगोत्सव पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं 🌹