तेरी रहमत पे भरोसा है मुझे
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धू - धू कर धधकती आग और लौंकते धुएं को देखा तो उस नन्हीं चिड़िया का ख्याल आया जिसने उस काँस की घास से भरे बड़े से प्लॉट के बीच खड़े उस बबूल के पेड़ पर अपना नीड़ बनाया है ।
कुछ दिनों से छत पर धूप सेंकते वक्त उसे देखती रही तो एक अलग ही लगाव हो गया उससे ।
धधकती आग देखकर व्याकुल मन मे तुरंत उसी चिड़िया का ख्याल आया तो मन ही मन बड़बड़ाई, "अरे ! उसके बच्चे तो अभी बहुत छोटे हैं , उड़ नहीं सकते । अजीब सी हलचल मच गई मन में । झट से सीढ़ियाँ चढ़ते हुए छत में गई तो देखा आग सूखी काँस पर बड़ी तेजी आगे बढ़ रही है ।
क्या करूँ ! कैसे बचाऊँ इसके नन्हें चूजों को ? मन में बेचैनी बढ़ी तो सोसायटी इंचार्ज को फोन किया । वे बड़े आश्वस्त होकर बोले, "आग से डरने वाली बात ही नहीं है । प्लॉट के ऑनर ने फायर बिग्रेड की सुविधा कर रखी है कोई अनहोनी पहले तो होगी नहीं अगर लगा तो सामने ही सब समाधान है आप निश्चिंत रहिए" ।
क्या कहती कैसे निश्चिंत रहूँ ? बेचारी चिड़िया का घोसला और उसके नन्हें बच्चे .. ? खैर... कौन समझता इन बातों को...!
अब कोई सहारा न पाकर मैं बस उस बेबस चिड़िया को देखने लगी बेबसी से । हाँ बेबसी इसलिए कि हमारे अपार्टमेंट से वहाँ जाने का नजदीक से फिलहाल कोई रास्ता नहीं है।
मैंने देखा बहुत सारी चिड़ियाएं कलरव करती हुई आई , उस बबूल पर बैठी और फिर वैसे ही कलरव करते हुए उड़ गयी । मुझे लगा शायद सबके साथ वह चिड़िया भी उड़ गई होगी ।
ध्यान से देखा तो नहीं उड़ी वह ! कैसे उड़ती ? माँ जो है । वह तो उसी बबूल की हर टहनी में बेचैनी से इधर उधर फुदक-फुदक कूदती- फाँदती फिर अपने नन्हें बच्चों के पास आती, जैसे कोई रास्ता ढूँढ़ रही हो इस मुसीबत से निकलने का ।
आग बासंती बयार का साथ पाकर और तेज गति से सूखे काँस पर बढ़ती जा रही थी । और आग की धधकार के साथ ही मेरी धड़कन भी उसी गति से तेज और तेज...
एक समय ऐसा आया कि आग बबूल के बहुत करीब और चारों तरफ फैल गयी , चिड़िया अब शांत अपने बच्चों के ऊपर बैठ गई घोंसले में । जैसे उसकी सारी बेचैनी खत्म हो गई हो ।
मेरी धड़कनों का शोर भी तब थम सा गया जब धुएं में बबूल का पेड़ दिखना ही बंद हो गया। मैंने आँखें भींच ली तो अंदर का दर्द रिसने लगा आँसुओं के साथ ।
कहीं आसपास से भजन की आवाज आ रही थी ।
तेरी रहमत पे भरोसा है मुझे,
काज मेरे बिगड़े सँवर जायेंगे ।
जब कोई मुश्किल होगी सामने,
पार मुझे सतगुरू जी लगायेंगे ।
तेरी रहमत पे भरोसा.....
लगा जैसे वही चिड़िया अरदास कर रही है । हाथ जुड़ गये और मन उस असीम की चौखट पर गिड़गिड़ाने लगा ।
कुछ ही देर में लपटों की धू - धू शांत होती सी महसूस हुई । भयभीत मन , बड़ी मुश्किल से आँखें खोली तो दंग रह गयी ! बबूल के पेड़ पर चिड़िया फिर टहनी टहनी फुदक रही थी और उसके बच्चे नीड़ में चूँ चूँ कर चोंच खोले कलरव मचा रहे थे। एक बार फिर आँख बंद कर इस चमत्कार के लिए उस असीम का धन्यवाद किया।
हुआ ये कि जहाँ तक बबूल की छाया रही , वहाँ तक काँस की घास सूखी नहीं थी । काँस हरी होने से आग आगे नहीं बढ़ी और बबूल का पेड़ और चिड़िया का घोंसला दोनों सुरक्षित रह गये । पर पहले ऐसी कोई सम्भावना भी मन में नहीं आई तो उस वक्त ये सिर्फ चमत्कार लग रहा था ।
अब सामने चिड़िया को उसके परिवार सहित सकुशल देखकर मन आह्लादित है।
पढ़िए एक और कहानी-
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टिप्पणियाँ
इसलिए तो कहते हैं कि " जा को राखें साईयां मार सके ना कोई" हृदय विदारक प्रसंग सुनाया आपने सुधा जी 🙏
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने कामिनी जी !
हटाएंभगवान ऐसे ही सबकी रक्षा करे ।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।
कितना जीवंत चित्रण लिखा है दी आपने ,पात्रों को महसूस करने लगे कहानी पढ़ते हुए।
जवाब देंहटाएंसच्चे मन से की गयी प्रार्थनाएं हमेशा चमत्कृत कर जाती है हम हमेशा महसूस किये हैं दी।
सकारात्मक कहानी जो मन में आशा भरती है कि विपरीत परिस्थितियाँ भी अनुकूल हो जाती है धैर्य और विश्वास के बल पर।
सस्नेह प्रणाम दी।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ फरवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सही कहा प्रिय श्वेता आपने कि धैर्य और विश्वास के बल पर विपरीत परिस्थितियाँ भी अनुकूल हो जाती हैं ।
हटाएंमजबूरी में ही सही चिड़िया ने धैर्य तो बहुत रखा , नहीं तो ना जाने कौन सी अनहोनी से गुजरती ।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका सारगर्भित प्रतिक्रिया के साथ रचना को "पाँच लिंकों का आनंद" मंच के लिए चयन करने हेतु ।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंतेरी रहमत पे भरोसा है मुझे
जवाब देंहटाएंशानदार कथ्य
आभार..
सादर
विपरीत परिस्थितियों में सकारात्मकता का संदेश देती बहुत सुन्दर कथा सुधा जी ! अद्भुत सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंरोमांच से भरपूर बहुत सुन्दर लघुकथा !
जवाब देंहटाएंकहानी अंत तक बांधे रही। बहुत सुंदर मार्मिक संवेदनात्मक चित्रण किया है आपने। बधाई सखी।
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