दोहे - सावन में शिव भक्ति

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              ■  सावन आया सावन मास है , मंदिर लगी कतार । भक्त डूबते भक्ति में, गूँज रही जयकार ।। लिंग रूप भगवान का, पूजन करते भक्त । कर दर्शन शिवलिंग के,  हुआ हृदय अनुरक्त । ओघड़दानी देव शिव, बाबा भोलेनाथ । जपें नाम सब आपका, जोड़े दोनों हाथ ।। करो कृपा मुझ दीन पर, हे शिव गौरीनाथ । हर लो दुख संताप प्रभु, सर पर रख दो हाथ ।। बम बम भोले बोलकर, भक्त करें जयकार । विधिवत व्रत पूजन करें, मिलती खुशी अपार ।।                      ■   काँवड काँधे में काँवड सजे, होंठों मे शिव नाम । शिव शंकर की भक्ति से, बनते बिगड़े काम ।। काँवड़िया काँवड़ लिये, चलते नंगे पाँव । बम बम के जयघोष से,  गूँज रहे हैं गाँव ।। काँधे पर काँवड़ लिये, भक्त चले हरिद्वार । काँवड़ गंगाजल भरे, चले शंभु के द्वार  ।। काँवड़िया काँवड़ लिए , गाते शिव के गीत । जीवन उनका धन्य है, शिव से जिनको प्रीत ।। सादर अभिनंदन🙏🙏 पढ़िये भगवान शिव पर आधारित कुण्डलिया छंद निम्न लिंक पर ●  हरते सबके कष्ट सदाशिव भोले शंकर

ये माँ भी न !...

Rupee in palm


 ट्रेन में बैठते ही प्रदीप ने अपनी बंद मुट्ठी खोलकर देखी तो आँखों में नमी और होठों में मुस्कुराहट खिल उठी ।  साथ बैठे दोस्त राजीव ने उसे देखा तो आश्चर्यचकित होकर पूछा, "क्या हुआ ? तू हँस रहा है या रो रहा है " ? 

अपनी बंद मुट्ठी को धीरे से खोलकर दो सौ का नोट दिखाते हुए प्रदीप बोला , "ये माँ भी न ! जानती है कि पिचहत्तर हजार तनख्वाह है मेरी । फिर भी ये देख ! ये दो सौ रुपये का नोट मेरी मुट्ठी में बंद करते हुए बोली , रास्ते में कुछ खा लेना" ।  कहते हुए उसका गला भर आया । 


टिप्पणियाँ

  1. तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी मेरी रचना पाँच लिंकों के आनंद मंच के लिए चयन करने हेतु ।

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  2. माँ होकर जाना माँ क्या होती है

    अद्धभुत अनुभूति का सुन्दर वर्णन

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरुवार (११-०५-२०२३) को 'माँ क्या गई के घर से परिंदे चले गए'(अंक- ४६६२) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए ।

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  4. वाह सखी अंतर्मन को छू गई आपकी रचना, हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आपको

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  5. मेरी माँ तो रूपये-पैसे देने के बजाय पूड़ी-सब्ज़ी देते हुए कहती थीं - रास्ते में उल्टा-सीधा ख़रीद कर मत खाइयो.

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  6. ये माँ भी न ...... बहुत भावपूर्ण लघुकथा ।

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  7. चंद लाइनों में कितनी भावनाएं समेट दी है आपने, दिल को छू गई❣️

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  8. माँ तो माँ होती है .....।बहुत खूब सुधा जी ।

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  9. ममता के भाओं से ओतप्रोत रचना

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  10. माँ के वात्सल्य के आगे पद,प्रतिष्ठा धन सब छोटे पड़ जाते हैं.

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  11. माएँ ऐसी ही होती हैं, प्यारी लघुकथा

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  12. मां के इस प्यार का कोई मोल नहीं

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