मन की उलझनें
बेटे की नौकरी अच्छी कम्पनी में लगी तो शर्मा दम्पति खुशी से फूले नहीं समा रहे थे,परन्तु साथ ही उसके घर से दूर चले जाने से दुःखी भी थे । उन्हें हर पल उसकी ही चिंता लगी रहती । बार-बार उसे फोन करते और तमाम नसीहतें देते । उसके जाने के बाद उन्हें लगता जैसे अब उनके पास कोई काम ही नहीं बचा, और उधर बेटा अपनी नयी दुनिया में मस्त था । पहली ही सुबह वह देर से सोकर उठा और मोबाइल चैक किया तो देखा कि घर से इतने सारे मिस्ड कॉल्स! "क्या पापा ! आप भी न ! सुबह-सुबह इत्ते फोन कौन करता है" ? कॉलबैक करके बोला , तो शर्मा जी बोले, "बेटा ! इत्ती देर तक कौन सोता है ? अब तुम्हारी मम्मी थोड़े ना है वहाँ पर तुम्हारे साथ, जो तुम्हें सब तैयार मिले ! बताओ कब क्या करोगे तुम ? लेट हो जायेगी ऑफिस के लिए" ! "डोंट वरी पापा ! ऑफिस बारह बजे बाद शुरू होना है । और रात बारह बजे से भी लेट तक जगा था मैं ! फिर जल्दी कैसे उठता"? "अच्छा ! तो फिर हमेशा ऐसे ही चलेगा" ? पापा की आवाज में चिंता थी । "हाँ पापा ! जानते हो न कम्पनी यूएस"... "हाँ हाँ समझ गया बेटा ! चल अब जल्दी से अपन...
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी मेरी रचना पाँच लिंकों के आनंद मंच के लिए चयन करने हेतु ।
जवाब देंहटाएंमाँ होकर जाना माँ क्या होती है
जवाब देंहटाएंअद्धभुत अनुभूति का सुन्दर वर्णन
सादर आभार एवं धन्यवाद
हटाएं🙏🙏🙏🙏
वाह
जवाब देंहटाएंसादर आभार एवं धन्यवाद।
हटाएं🙏🙏
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरुवार (११-०५-२०२३) को 'माँ क्या गई के घर से परिंदे चले गए'(अंक- ४६६२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए ।
हटाएंवाह सखी अंतर्मन को छू गई आपकी रचना, हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आपको
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार एवं धन्यवाद सखी !
हटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंमेरी माँ तो रूपये-पैसे देने के बजाय पूड़ी-सब्ज़ी देते हुए कहती थीं - रास्ते में उल्टा-सीधा ख़रीद कर मत खाइयो.
जवाब देंहटाएंये माँ भी न ...... बहुत भावपूर्ण लघुकथा ।
जवाब देंहटाएंचंद लाइनों में कितनी भावनाएं समेट दी है आपने, दिल को छू गई❣️
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंमाँ तो माँ होती है .....।बहुत खूब सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंममता के भाओं से ओतप्रोत रचना
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमाँ के वात्सल्य के आगे पद,प्रतिष्ठा धन सब छोटे पड़ जाते हैं.
जवाब देंहटाएंमाएँ ऐसी ही होती हैं, प्यारी लघुकथा
जवाब देंहटाएंमां के इस प्यार का कोई मोल नहीं
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