और एक साल बीत गया
प्रदत्त पंक्ति ' और एक साल बीत गया' पर मेरा एक प्रयास और एक साल बीत गया दिन मास पल छिन श्वास तनिक रीत गया हाँ ! और एक साल बीत गया ! ओस की सी बूँद जैसी उम्र भी टपक पड़ी अंत से अजान ऐसी बेल ज्यों लटक खड़ी मन प्रसून पर फिर से आस भ्रमर रीझ गया और एक साल बीत गया ! साल भर चैन नहीं पाने की होड़ लगी और, और, और अधिक संचय की दौड़ लगी भान नहीं पोटली से प्राण तनिक छीज गया और एक साल बीत गया ! जो है सहेज उसे चैन की इक श्वास तो ले जीवन उद्देश्य जान सुख की कुछ आस तो ले मन जो संतुष्ट किया वो ही जग जीत गया और एक साल बीत गया ! नववर्ष के अग्रिम शुभकामनाओं के साथ पढ़िए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर -- ● नववर्ष मंगलमय हो
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (१४-११-२०२२ ) को 'भगीरथ- सी पीर है, अब तो दपेट दो तुम'(चर्चा अंक -४६११) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चा मंच के लिए मेरी रचना चयन करने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय अनीता जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 15 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ. यशोदा जी मेरी रचना चयन करने हेतु ।
हटाएंबहर!अच्छी सामयिक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार ओंकार जी !
हटाएंबहुत सुंदर कविता रची है सुधा जी आपने। एक-एक शब्द में हेमंती गंध रची-बसी है।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जितेंन्द्र जी
हटाएंहुलसित हुआ मन अति सुन्दर कृति से। स्वागत है....
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद एवं आभार अमृता जी !
हटाएंबहुत सुंदर मनहर रचना
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद एव आभार भारती जी !
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजी, हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका ।
हटाएंजीवन जीने की प्रेरणा देती और हेमंत की अगवानी करती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद एवं आभार सखी !
हटाएंहेमंत के स्वागत में बहुत सुंदर कोमल भाव लिए प्रकृति के सौंदर्य के साथ सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ. कुसुम जी !
हटाएंअप्रतिम शब्द चित्रांकन। हेमंत ऋतु के रंग आँखों के सामने साकार हो उठे सुधाजी।
जवाब देंहटाएंव्योम उतरता कोहरा बन,
धरा संग जैसे आलिंगन ।
तुहिन कण मोती से बिखरे,
पल्लव पुष्प धुले निखरे ।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार मीनाजी !
हटाएंहुलसित सुरभित यह ऋतु हेमंत
जवाब देंहटाएंआगत शिशिर, स्वागत वसंत ।।
प्राकृतिक छटा बिखेरती मनभावन सृजन सुधा जी 🙏
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !
हटाएंबहुत ही सुंदर कविता से सुंदरतम प्रकृति का स्वागत। बहुत अच्छा।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार ए्ं धन्यवाद बडोला जी !
जवाब देंहटाएंशब्दों का बहुत ही सुंदर चित्रांकन किया है सुधा दी आपने।
जवाब देंहटाएंहेमन्त ऋतु की प्राकृतिक छटा सृजन में देखते ही बनती है । अत्यन्त सुन्दर कृति ।
जवाब देंहटाएंGreat article. Your blogs are unique and simple that is understood by anyone.
जवाब देंहटाएंअप्रतिम सृजन
जवाब देंहटाएंवाह , बहुत ही मनोरम चित्रण . शब्द संयोजन उत्कृष्ट .बहुत खूब सुधा जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना , हेमंत ऋतु के स्वागत में
जवाब देंहटाएंअभिनन्दन आदरणीया !
जय श्री कृष्ण !