बी पॉजिटिव

चित्र
  "ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ?   कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला !  बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और  बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था ।  वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" ।   माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं ।   फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...

लघु कविताएं - सैनर्यु

 

Goat and girls

धार्मिक परम्पराओं एवं रीति रिवाजों पर बने हायकु सैनर्यु कहलाते हैं । हायकु की तरह ही सत्रह वर्णीय इस लघु कविता में तीन पंक्तियों में क्रमशः पाँच, सात, पाँच वर्णों की त्रिपदी में भावों की अभिव्यक्ति होती है।अतः सैनर्यु भी हायकु की तरह एक लघु कविता है जिसमें लघुता ही इसका गुण है और लघुता ही सीमा भी ।

प्राकृतिक बिम्ब एवं कीगो (~) की अनिवार्यता के साथ कुछ सैनर्यु पर मेरा प्रथम प्रयास--

 

【1】

अक्षय तीज~

मूर्ति निकट खत

रखे विद्यार्थी


【2】

ईद का चांद~

बालक मेमने को

गोद में भींचे


【3】

कार्तिक साँझ~

पालकी में तुलसी

बाराती संग


【4】

कार्तिक साँझ~

कदली पात पर

हल्दी अक्षत


【5】

दुर्गा अष्टमी ~

बकरा सिर लेके

मूर्तिपूजक


【6】

विवाहोत्सव~

शीश पे घट लिए

धार पूजन

(धार = पानी का प्राकृतिक स्रोत)





टिप्पणियाँ

  1. सुधा दी, शब्दो की इतनी कम मात्रा में अपनी भावनाएं व्यक्त करना सचमुच बहुत ही दुष्कर कार्य है। बहुत सुंदर सैनर्यु।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद ए्ं आभार ज्योति जी, त्वरित प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करने हेतु।

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नैनवाल जी !

      हटाएं
  3. सादर आभार एवं धन्यवाद आ. जोशी जी!

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रथम प्रयास
    सैनरयु लिखने का
    अति सुंदर !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद डॉ. रश्मि जी !
      ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

      हटाएं
  5. सैनर्यू -
    शब्दों की सरस धार,
    स्वाद सुधा-सा!...... एक नयी विधा से परिचय कराने का सादर आभार सुधाजी!!!

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर सरस हाइकु।
    सराहनीय प्रयास।

    जवाब देंहटाएं
  7. आज एक नया शब्द आपके बहाने जान गए हम ...
    सभी बहुत लाजवाब हाइकू हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  8. पहली बार जाना हाइकु के इस प्रकार को. बहुत सुन्दर लिखा आपने। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  9. सैनर्यु ~ पहली बार इस विधा के विषय में जानकारी मिली । आभार ।
    सुंदर रचनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  10. सार्थक एवं सुन्दर प्रयास।

    जवाब देंहटाएं
  11. पहली बार सैनर्यु के बारे में पढ़ा, वाकई छोटी छोटी पंक्तियों में एक सम्पूर्ण चित्र को उकेरने की कला है यह

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

फ़ॉलोअर

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला

आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं

तन में मन है या मन में तन ?