व्रती रह पूजन करते
{1}
बदली में छुपते फिरे, सावन मास मयंक।
दर्शन को मचले धरा, गगन समेटे अंक ।
गगन समेटे अंक , बहुत ही लाड-लड़ाये।
भादो बरसे मेघ, कौन अब तुम्हें छुपाये।
कहे धरा मुस्काय, शरद में मत छुप जाना।
व्रती निहारे चाँद, प्रेमरस तुम बरसाना ।।
{2}
नवराते में गूँजते, माँ के भजन संगीत ।
जयकारे करते सभी, माँ से जिनको प्रीत।
माँ से जिनको प्रीत, व्रती रह पूजन करते।
पा माँ का आशीष, कष्ट जीवन के हरते।
कहे सुधा करजोरि, करो माँ के जगराते।
हो जीवन भयमुक्त, सफल जिनके नवराते।
व्रती -- उपवासी
टिप्पणियाँ
आपको भी नवरात्रि पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
नवरात्रि की अनंत शुभकामनाएं आपको।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सादर आभार।
सादर आभार।
नवरात्रि पर्व की अनंत शुभकामनाएं आपको।
दर्शन को मचले धरा, गगन समेटे अंक ।
गगन समेटे अंक , बहुत ही लाड-लड़ाये।
भादो बरसे मेघ, कौन अब तुम्हें छुपाये।
कहे धरा मुस्काय, शरद में मत छुप जाना।
व्रती निहारे चाँद, प्रेमरस तुम बरसा
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ✨✨😍
जयकारे करते सभी, माँ से जिनको प्रीत।
नवरात्रि का संदेश देती सुंदर पंक्तियां!--ब्रजेंद्रनाथ
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।