मन की उलझनें

चित्र
बेटे की नौकरी अच्छी कम्पनी में लगी तो शर्मा दम्पति खुशी से फूले नहीं समा रहे थे,परन्तु साथ ही उसके घर से दूर चले जाने से दुःखी भी थे । उन्हें हर पल उसकी ही चिंता लगी रहती ।  बार-बार उसे फोन करते और तमाम नसीहतें देते । उसके जाने के बाद उन्हें लगता जैसे अब उनके पास कोई काम ही नहीं बचा, और उधर बेटा अपनी नयी दुनिया में मस्त था ।   पहली ही सुबह वह देर से सोकर उठा और मोबाइल चैक किया तो देखा कि घर से इतने सारे मिस्ड कॉल्स! "क्या पापा ! आप भी न ! सुबह-सुबह इत्ते फोन कौन करता है" ? कॉलबैक करके बोला , तो शर्मा जी बोले, "बेटा ! इत्ती देर तक कौन सोता है ? अब तुम्हारी मम्मी थोड़े ना है वहाँ पर तुम्हारे साथ, जो तुम्हें सब तैयार मिले ! बताओ कब क्या करोगे तुम ?  लेट हो जायेगी ऑफिस के लिए" ! "डोंट वरी पापा ! ऑफिस  बारह बजे बाद शुरू होना है । और रात बारह बजे से भी लेट तक जगा था मैं ! फिर जल्दी कैसे उठता"? "अच्छा ! तो फिर हमेशा ऐसे ही चलेगा" ? पापा की आवाज में चिंता थी । "हाँ पापा ! जानते हो न कम्पनी यूएस"... "हाँ हाँ समझ गया बेटा ! चल अब जल्दी से अपन...

राजनीति और नेता


       

pencil cartoon with aggression expressionShri Narendra Modi

    
आज मेरी लेखनी ने 
राजनीति की तरफ देखा,
 आँखें इसकी चौंधिया गयी 
मस्तक पर छायी गहरी रेखा।
                                                                               
  संसद भवन मे जाकर इसने
    नेता देखे बडे-बडे,
 कुछ पसरे थे कुर्सी पर ,
     कुछ भाषण देते खडे-खडे।
                     
          कुर्सी का मोह है ,
        शब्दों में जोश है,
 विपक्ष की टाँग खींचने का 
     तो इन्हें बडा होश है।
                
    लकीर के फकीर ये,और 
      इनके वही पुराने मुद्दे,
      बहस करते वक्त लगते 
        ये बहुत ही भद्दे

  काम नहीं राम मंदिर की 
     चर्चा इन्हें प्यारी है,
  शुक्र है इतना कि अभी 
    मोदी जी की बारी है।
                                        
     मोदी जी का साथ है,
     देश की ये आस है।
     कुछ अलग कर रहे हैं,
        और अलग करेंगें,
    यही हम सबका विश्वास है।
                                   
   लडखडाती अर्थव्यवस्था की 
       नैया को पार लगाना है
विपक्ष को अनसुना कर मोदी जी
     आपको देश आगे बढाना है।
                                                             

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. हार्दिक धन्यवाद आ.यशोदा जी ! मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक सोच । मोदी पर अभी बजी विश्वास कायम है ।
    यशोदा ने 14 दिसंबर लिखा तो एक बार सोचना पड़ा कि आज क्या तारीख है ।

    जवाब देंहटाएं
  4. लडखडाती अर्थव्यवस्था की
    नैया को पार लगाना है
    विपक्ष को अनसुना कर मोदी जी
    आपको देश आगे बढाना है।
    मोदी जी ने आपकी कही सुन ली सुधा जी और यकिनन आपको निराश भी नहीं किया ☺️

    जवाब देंहटाएं
  5. गोपेश मोहन जैसवाल21 दिसंबर 2022 को 5:09 pm बजे

    सुधा जी, राजनेताओं की तारीफ़ और उनका समर्थन तभी कीजिए जब आपको राजनीतिक दलदल में कूदना हो.

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  6. मन के भावों की सुंदर सराहनीय अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं

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