बी पॉजिटिव

"ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ? कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला ! बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था । वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" । माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं । फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...
वाह अति सुकोमल ऋतु के स्वागत में लिखी आपकी सुंदर रचना ने एक मोहक चित्र खींच दिया प्रिय सुधा जी।
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शरद के
स्वागत में वादियों के
दामन
सजने लगे,
बहकी हवाओं ने
हर शय में
नया राग
जगाया है।
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सस्नेह
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 30 सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.रविन्द्र जी मेरी रचना को पाँच लिंको के आनन्द मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर,बदलते मौसम का चित्रण करती लाज़बाब रचना सुधा जी।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार, उर्मिला जी!
हटाएंबहुत सुंदर सृजन, बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार, भारती जी !
हटाएंवर्षा ऋतु को विदाई तथा आती हुई शरद ऋतु को शुभकामना संदेश देती सुंदर मनोहारी कविता, बहुत शुभकामनाएँ सुधा जी।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंचार दिन चौमास में , बादल घुमड़ के चल दिये
जवाब देंहटाएंदमक उठा अम्बर बदन, समझो शरद आने को है।
बहुत लाजबाब रचना, सुधा दी।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद ज्योति जी!
हटाएंबहुत बहुत सुंदर सुधाजी,आती शरद की आहट इतनी मनभावन होती है कि लेखनी स्वयं मधुरस छलकाती हैं,और भाव सृजन यूँ मुखरित होते हैं ।
जवाब देंहटाएंमनभावन मनमोहक।
अप्रतिम।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभारआ.कुसुम जी !
हटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद ज्योति जी!
जवाब देंहटाएंवाह। ऋतु की विदाई का सुंदर शब्दांकन।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद अंकुर जी!
हटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सुंदर, सार्थक रचना !........
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार सन्जू जी!
हटाएंआपका भी बहुत बहुत स्वागत है ब्लॉग पर।
बदलते मौसम का चित्रण करती रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार संजय जी!
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