बी पॉजिटिव

चित्र
  "ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ?   कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला !  बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और  बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था ।  वहीं आँगन में रखी स्प्रै बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" ।   माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं ।   फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...

हिन्दी अपनी शान

कुण्डलिया छन्द --   प्रथम प्रयास

hindi poem



 【1】

हिन्दी भाषा देश की, सब भाषा सिरमोर।

शब्दों के भण्डार हैं, भावों के नहिं छोर।

भावों के नहिं छोर, सहज सी इसकी बोली।

उच्चारण आसान, रही संस्कृत हमजोली।

कहे सुधा ये बात, चमकती माथे बिन्दी।

भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी 


【2】

भाषा अपने देश की , मधुरिम इसके बोल।

सहज सरल मनभावनी, है हिन्दी अनमोल।

है हिन्दी अनमोल, सभी के मन को भाती।

चेतन चित्त विभोर, तरंगित मन लहराती।

कहे सुधा इक बात, यही मन की अभिलाषा।

हिन्दी बने महान , राष्ट्र की गौरव भाषा।।


चित्र, साभार pixabay से......

टिप्पणियाँ

  1. हर तरह से सार्थक, पूर्ण तथा व्यापक होने के बावजूद अपना हक़ नहीं पा सक रही है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी, सही कहा आपने...
      हार्दिक आभार एवं धन्यवाद सर!

      हटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. भाषा अपने देश की , मधुरिम इसके बोल।
    सहज सरल मनभावनी, है हिन्दी अनमोल।
    हिन्दी भाषा के सम्मान मनमोहक कुंडलियों का सृजन लाजवाब है सुधा जी ! बहुत बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर और सार्थक छंद रचना के लिए आपको बधाई। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  5. विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं सहित शुभ प्रभात आदरणीया सुधा देवरानी जी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपको भी विश्व हिन्दी दिवस की अनंत शुभकामनाएं,आ. पुरुषोत्तम जी!
      सादर आभार।

      हटाएं
  6. बहुत बहुत सुन्दर सुधा जी ।शुभ कामनाएं

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ आ.आलोक जी!हृदयतल से धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  7. कहे सुधा ये बात, चमकती माथे बिन्दी।

    भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी।।
    बहुत सुंदर। पविश्व हिन्दी दिवस की शुभकामना, सुधा दी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद ज्योति जी!
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  8. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 11 जनवरी 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद आ. दिग्विजय जी मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन के मंच पर साझा करने हेतु...
      सादर आभार।

      हटाएं
  9. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-1-21) को "कैसे बचे यहाँ गौरय्या" (चर्चा अंक-3944) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा



    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद कामिनी जी चर्चा मंच में मेरी रचना साझा करने हेतु।
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  10. शुभकामनाएं हिन्दी दिवस पर। सुन्दर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. जोशी जी !आपको भी अनंत शुभकामनाएं।

      हटाएं
  11. विश्व हिंदी दिवस की असंख्य शुभकामनाएं, बहुत सुन्दर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार, सर!
      आपको भी अनंत शुभकामनाएं।

      हटाएं
  12. हिंदी हमारी व्यवहारिक आत्मा का गीत है किंतु अपेक्षाकृत हिंदी भाषियों को हेय दृष्टि से देखा जाता है उन्हें अनपढ और गँवार समझा जाता है इस मानसिकता का हमें विरोध करना होगा।
    आपकी रचना बहुत अच्छी लगी प्रिय सुधा जी।
    सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सही कहा श्वेता जी आपने...हिन्दी भाषियों को अनपढ़ और गँवार समझा जाता है और लोग इस मानसिकता का विरोध करने के वजाय अपनी हिन्दी में अंग्रेजी शब्दों को मिश्रित कर आधुनिकता की होड़ में शामिल हो रहे हैं....।जो बहुत ही दुखद है।
      आपको रचना अच्छी लगी हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

      हटाएं
  13. सुधा जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  14. " जो सुधा कहे बात ".....वही तो है हर हृदय की बात । अति सुन्दर ।

    जवाब देंहटाएं
  15. अच्छी कविता |ब्लॉग पर आने हेतु आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुन्दर कुंडलनियाँ ... भाषा दिवस का मान भाषा में ही ...
    सच है हिन्दी का भण्डार ... गेयता और सुन्दरता का कोई सानी नहीं ... बाखूबी आपने लिखा है ...

    जवाब देंहटाएं
  17. कौन हिंदी-प्रेमी होगा सुधा जी जो आपकी रची इन कुंडलियों पर अपना मन न्यौछावर न कर दे ?

    जवाब देंहटाएं
  18. प्रिय सुधा जी , आपने प्रथम प्रयास में ही अद्भुत कुडली सृजन किया है | हिंदी को समर्पित ये कुंडलियाँ बहुत ही सार्थक और उत्तम हैं | यूँ ही लिखती रहिये | सस्नेह शुभकामनाएं|

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ये एक कोशिश है रेणु जी!उत्साहवर्धन हेतु तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  19. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 06 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी! सांध्य दैनिक मुखरित मौन के मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु।

      हटाएं
  20. अहा सुधा जी ! सुंदर मनभावन कुंडलियाँ छंद वो भी हिंदी के सम्मान हित,अप्रतिम सार्थक सृजन उत्कृष्ट भाव दोनों कु० बहुत सुंदर बनी है ।
    बधाई और साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं
  21. हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी! बस प्रयास किया आपको ठीक लगी तो श्रम साध्य हुआ.. अत्यंत आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  22. हिंदी को समर्पित सुंदर सिरमौर जैसी सार्थक कुंडलियां...
    हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बहुत-बहुत बधाई 💐💐

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद जिज्ञासा जी!
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  23. वाह अत्यधिक सुंदर, विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

फ़ॉलोअर

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला

आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं

तन में मन है या मन में तन ?