सोसाइटी में कोरोना की दस्तक
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"माफ कीजिएगा इंस्पेक्टर साहब ! आपसे एक रिक्वेस्ट है कृपया आप सोसाइटी के गेट को बन्द न करें और ये पेपर मेरा मतलब 'नोटिस', हाँ इसे भी गेट के बाहर चिपकाने की क्या जरूरत है आप न इसे हमें दे दीजिए हम सभी को वॉर्न कर देंगे, और इसे यहाँ चिपकाते हैं न , ये सोसाइटी ऑफिस के बाहर । यहाँ सही रहेगा ये। आप बेफिक्र रहिए"।
सोसायटी के प्रधान राकेश चौहान ने जब कहा तो इंस्पेक्टर साहब बोले, "चौहान जी मुझे ये नहीं समझ मे नहीं आ रहा कि आप गेट को सील क्यों नहीं करने देना चाहते, आपकी सोसाइटी में इसके अलावा दो गेट और हैं, और इस गेट के पास वाले अपार्टमेंट में कोरोना पॉजीटिव का पेशेंट मिला है , तो ये गेट सबकी सुरक्षा को देखकर बन्द होना चाहिए इसमें आपको क्या परेशानी है ?
"परेशानी तो कुछ नहीं सर ! बस सोच रहे हैं इसे हम ही अन्दर से लॉक देंगे सबको बता भी देंगे तो कोई इधर से नहीं आयेगा वो क्या है न सर ! अगर आप बन्द करेंगे तो लोगोंं के मन में इस बिमारी को लेकर भय बैठ जायेगा और आप तो जानते ही हैं, भय से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो सकती है , है न सर" !
"ठीक है चौहान जी आप इस गेट को कुछ दिन के लिए बन्द कर दीजिए और सोसाइटी में सोशल डिस्टेसिंग और अन्य नियमों का पालन जरूर होना चाहिए", इस तरह सख्त हिदायत देकर इंस्पेक्टर साहब अपनी टीम के साथ चले गये।
तब साथ में खड़े शर्मा जी बोले, "वैसे चौहान जी हम समझे नहीं आप काहे उस पुलिस वाले को गेट बन्द नहीं करने दिए"?
"अजी शर्मा जी ! वो क्या है न , आप भी बड़े भोले हैं, अच्छा आप ही बताइए ये कौन सा महीना चल रहा है" ? कहते हुए चौहान जी सोसाइटी ऑफिस में जाकर कुर्सी में पसर गये।
शर्मा जी बोले .
"सावन है जी पर इसमें क्या" ?
"आप देखे न शर्मा जी ! हमारे तीसरे गेट के पास बने मंदिर में आजकल कैसा तांता लगा है श्रद्धालुओं का ! जब सबको पता चलेगा कि हमारी सोसाइटी में भी ये कमबख्त कोरोना दस्तक दे चुका तो ! तब बाहर के लोग हमारी सोसाइटी के मंदिर में क्यों आयेंगे ? अब तो समझ ही गये होंगे आप "? चौहान जी अपनी भौहें नचाते हुए मुस्कराकर बोले।
"ओह ! बात तो पक्की है चौहान जी मान गये आपको मंदिर में लोग नहीं तो चढ़ावा भी नहीं । पहले ही लॉकडाउन में मंदिर बन्द रहे, अब जब खुले हैंं तो...! वैसे भी अब कोनों काम ठप्प नहीं तो मंदिर ही क्यों ! है न"..।
बगल में कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए शर्मा जी बोले और उनके ठहाकों की आवाज से सिक्योरिटी ऑफिस गूँज उठा ।
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टिप्पणियाँ
सुधा दी, कोरोना अपनी जगह है। लेकिन इस महामारी में भी लोग अपनी अपनी रोटियां सेंक रहे है। कड़वी सच्चाई व्यक्त करती रचना।
जवाब देंहटाएंजी, ज्योति जी!कड़वी सच्चाई ही है यह
हटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 सितंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी मेरी रचना को पाँच लिंकों का आनंद पर साझा करने हेतु।
हटाएंबहुत सुन्दर सृजन सुधा जी ! सही कहा ज्योति जी ने-कोरोना महामारी जैसी आपदा में भी लोग कपनी ही रोटियाँ सेंकने में लगे हैं । स्वार्थपरता को दर्शाता सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंजी, मीना जी! तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका...।
हटाएंपरिस्थितियों को व्यक्त करती सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार रिशभ जी!
हटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सामयिक रचना।
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद आदरणीय।
हटाएंयथार्थ चित्रण
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद राकेश जी !
हटाएंविचारोत्तेजक रचना
जवाब देंहटाएंसाधुवाद 🙏
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आ.वर्षा जी!
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 21 सितंबर 2020) को 'दीन-ईमान के चोंचले मत करो' (चर्चा अंक-3831) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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-रवीन्द्र सिंह यादव
हार्दिक धन्यवाद आ.रविन्द्र जी मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा करने हेतु...।
हटाएंसादर आभार।
सारगर्भित, चिंतन-मनन योग्य इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सुधा जी !!!
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद डॉ.शरद जी!
हटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।
बहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबढ़िया :)
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी!
हटाएंऐसी मानसिकता का परिणाम विश्व भुगत रहा है । आभार ।
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने अमृता जी!बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका उत्साहवर्धन हेतु...।
हटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।
ओह !!!! इस संकटकाल में भी कुटिलता ? आश्चर्य होता है इसी सोच वालों पर | पर ये बहुत जगह का कडवा सच है | सार्थक लघुकथा सुधा जी | हार्दिक शुभकामनाएं | |
जवाब देंहटाएंजी सखी! कड़वा है पर सच है...
हटाएंउत्साहवर्धन हेतु अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।
बहुत अच्छी पोस्ट |आपका हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय!
हटाएंसादर आभार।
बहुत सुंदर रचना । बधाई
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद, आदरणीय!
हटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।