लघुकथा---नानी दादी के नुस्खे
आज दादी की तबीयत ठीक नहीं है । अक्कू बेटा मुझे कीचन में कुछ काम है तुम दादी के पास बैठकर इनका ख्याल रखो मैं अपने काम निबटाकर अभी आती हूँ।
"हाँ माँ ! मैं यही पर हूँ आप चिंता मत करो, मैं ख्याल रखूंगा दादी का...... दादी ! मैं हूँ आपके पास। कुछ परेशानी हो तो मुझे बताइयेगा" कहकर अक्षय अपने मोबाइल में व्यस्त हो गया।
थोड़ी देर बाद दादी ने कराहते आवाज दी; "अक्कू! बेटा! पैरों में तेज दर्द हो रहा है,देख तो चारपाई के नीचे मैंने दर्द निवारक तेल बनाकर शीशी मेंं रखा है , थोड़ा तेल लगा दे पैरों में....आराम पड़ जायेगा"।
"ओह दादी ! तेल लगाने से कुछ नहीं होगा । रुको !मैं मोबाइल में गूगल पर सर्च करता हूँ , यहाँ 'नानी दादी के नुस्खे' में बहुत सारे घरेलू उपाय लिखे रहते हैं, उन्हें पढ़कर आपके पैरों के दर्द को मिटाने का कोई अच्छा सा उपाय देखता हूँ और वही दवा बनाकर आपके पैरों में लगाउंगा", कहकर अक्षय पुनः मोबाइल में व्यस्त हो गया।
बेचारी दादी कराहते हुए बोली; "हम्म अपनी दादी नानी तो जायें भाड़ में..... गूगल पे दादी नानी के नुस्खे .....हे मेरे राम जी! क्या जमाना आ गया है"...!
चित्र साभार गूगल से....
टिप्पणियाँ
आपको अच्छा लगा तो श्रम साध्य हुआ
हृदयतल से धन्यवाद, आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हमेशा उत्साह द्विगुणित कर देती है।
सस्नेह आभार।
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा (११-०९-२०२०) को 'प्रेम ' (चर्चा अंक-३२३८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
सादर..
सादर आभार।
सादर आभार।
सस्नेह आभार।
समय के हालात लिख दिए अपने आज के ...
मोबाइल से आगे जहां नहीं है बच्चों का ....
साधुवाद!!!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।