और एक साल बीत गया

चित्र
प्रदत्त पंक्ति ' और एक साल बीत गया' पर मेरा एक प्रयास  और एक साल बीत गया  दिन मास पल छिन  श्वास तनिक रीत गया  हाँ ! और एक साल बीत गया ! ओस की सी बूँद जैसी उम्र भी टपक पड़ी  अंत से अजान ऐसी बेल ज्यों लटक खड़ी  मन प्रसून पर फिर से आस भ्रमर रीझ गया  और एक साल बीत गया ! साल भर चैन नहीं पाने की होड़ लगी  और, और, और अधिक संचय की दौड़ लगी  भान नहीं पोटली से प्राण तनिक छीज गया और एक साल बीत गया ! जो है सहेज उसे चैन की इक श्वास तो ले जीवन उद्देश्य जान सुख की कुछ आस तो ले    मन जो संतुष्ट किया वो ही जग जीत गया  और एक साल बीत गया ! नववर्ष के अग्रिम शुभकामनाओं के साथ पढ़िए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर -- ●  नववर्ष मंगलमय हो

चरणों में राधा क्यों....


RadhaKrishna : a story of true love

पत्नी अगर अर्धांगिनी
सम्मान आधा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों.....?

जग दे तुम्हें सम्मान प्रभु ने
क्या न कर डाला.....
जप में श्याम से पूर्व राधे
नाम रख डाला....
पनिहारिन बने मिलते वे
मटकी फोड़ कहलाये....
रचने रास राधे संग जमुना
तीर वो आये.....
फिर हर कलाकृति में यहाँ
हैं श्याम ज्यादा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों....?

वामांगी है पत्नी सर्वदा सम्मान,
सम स्थान दें.......
कदमों में होंगी जन्नतें यदि
मूल-मंत्र ये मान लें....
तस्वीर यदि बदलें स्वयं श्रीहरि
भी ये ही चाहेंगे.....
राधा सहित यूँ श्रीकृष्ण फिर से
इस धरा में आयेंगे

सम्मान देंगे नारी को न करते
तुम ये वादा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों.....?

पत्नी अगर अर्धांगिनी
सम्मान आधा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों....?
चित्र; साभार व्हाट्सएप से

टिप्पणियाँ

  1. वाह वाह बहुत सुंदर गीत सुधा जी।
    स्त्रियों के सम्मान के लिए एक स्त्री के मनभावन उद्बबोधन।
    त्नी अगर अर्धांगिनी
    सम्मान आधा क्यों.....?
    जिस बिन अधूरा श्याम जप
    चरणों में राधा क्यों.....?
    शुरुआत की चार पंक्तियों में.पूरी रचना का विस्तृत सार छुपा है। बहुत सुंदर लेखन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ श्वेता जी सुन्दर प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन हेतु....
      बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  2. बहुत ही बेहतरीन नवगीत लिखा है सखी 👌👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद सखी !उत्साहवर्धन हेतु...
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  3. दोनों ही एक दुसरे के पूरक हैं। अर्धाङ्गिनी अर्थात् आधे अंग को अगर सम्मान भी आधा-आधा बराबर बंटे तो क्या गलत है भला ?
    और चित्र के सन्दर्भ में नज़र का फेर हौ सकता है, प्रेमी या प्रेमिका का एक-दूसरे के चरण में नहीं ...पर गोद में रहना सुखदायक ही हो सकता है और किसी पल किसी एक का ही स्थान वहाँ हो सकता है ...शायद ...
    ( कुछ गलत लिखा गया हो तो अग्रिम क्षमा ... )

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. पति पत्नी बराबरी का रिश्ता है ।चित्राभिव्यक्ति में स्त्री चरणों में है...इसलिए कविता विरोधाभास पर आधारित है.....दूसरे अंतरे में स्पष्ट है
      तस्वीर यदि बदलो.....
      मानवकृत तस्वीर!!!
      ध्यान देंगे तो पायेंगे कि रचना का आशय वही है जो आपका मत है...
      फिर भी कुछ कमी हो तो मेरी सृजनशीलता की ही होगी जो अपना भावस्पष्ट कर पाने में असमर्थ हो गयी।इसलिए क्षमा प्रार्थी मैं हूँ आदरणीय
      अपने विचार स्पष्ट करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  4. बहुत सुंदर सृजन सुधा जी ,सरल स्निग्ध प्रश्न पूछती , सुंदर शब्दावली।
    वाह रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ कुसुम जी !सुन्दर प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन हेतु...
      बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  5. हम तो यहीं जानते हैं:-
    राधा बिन श्याम आधा
    शक्ति नहीं तो शिव शव।
    सीता के लिए राम भटके
    आप सब बिन ब्लॉग नीरव।😀
    नारी शक्ति की महिमा अपरंपार है। सुंदर कविता श्याम को ललकारती और राधा को उकसाती हुई।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय विश्वमोहन जी!हृदयतल से धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  6. उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद आदरणीया विभा जी!
      सादर आभार।

      हटाएं

  7. पत्नी अगर अर्धांगिनी
    सम्मान आधा क्यों.....?
    जिस बिन अधूरा श्याम जप
    चरणों में राधा क्यों....?
    नारी को सम्मान दिलाता बहुत ही सही सवाल, सुधा दी।

    जवाब देंहटाएं
  8. पत्नी अगर अर्धांगिनी
    सम्मान आधा क्यों.....?
    जिस बिन अधूरा श्याम जप
    चरणों में राधा क्यों....?

    एक सार्थक प्रश्न उठाती सुंदर रचना। जिसे दिन लोग समझ जायेंगे कि राधा का स्थान चरणों में नहीं हृदय में है तो उस दिन यह धरती शायद स्वर्ग बन जाए....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय! उत्साहवर्धन हेतु......
      सादर आभार।

      हटाएं
  9. वाक़ई में नई सोच, बहुत ही उम्दा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद , आदरणीय ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

      हटाएं
  10. वाजिब प्रश्न ...
    मुझे लगता है। होते इंसान की पुरुष सत्ता का प्रतीक है ... पत्नी, का सहयोग पति से कहीं ज़्यादा होता है और राधा की शक्ति न होती तो क्रिशन भी कहाँ क्रिशन होते ...
    बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद नासवा जी ! उत्साहवर्धन हेतु...
      सादर आभार।

      हटाएं
  11. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०४-०४-२०२०) को "पोशाक का फेर "( चर्चा अंक-३६६१ ) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद अनीता जी, मेरी रचना साझा करने हेतु...
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  12. बहुत प्यारी रचना। नारी मन की संवेदना की गहराइयों को छूती हुई....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद मीना जी, उत्साहवर्धन हेतु...
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  13. तस्वीर यदि बदलें स्वयं श्रीहरि
    भी ये ही चाहेंगे.....
    राधा सहित यूँ श्रीकृष्ण फिर से
    इस धरा में आयेंगे

    बहुत खूब ,सुंदर भाव लिए मनमोहक सृजन ,सादर नमन सुधा जी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद कामिनी जी !
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  14. बहुत बहुत धन्यवाद ओंकार जी !
    सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत खूब सुधा जी | ये प्रश्न बनते हैं | चरणों में राधा क्यों ? जबकि राधा का चरित श्याम को पूर्णता प्रदान करता है | बहुत रोचक और भावपूर्ण रचना जो चिंतनपरक भी है | हार्दिक शुभकामनाएं आपको इस भावोत्तेजक रचना के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  16. मेरे विचारों से सहमत होने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार सखी !

    जवाब देंहटाएं

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