भ्रात की सजी कलाई (रोला छंद)

चित्र
सावन पावन मास , बहन है पीहर आई । राखी लाई साथ, भ्रात की सजी कलाई ।। टीका करती भाल, मधुर मिष्ठान खिलाती । देकर शुभ आशीष, बहन अतिशय हर्षाती ।। सावन का त्यौहार, बहन राखी ले आयी । अति पावन यह रीत, नेह से खूब निभाई ।। तिलक लगाकर माथ, मधुर मिष्ठान्न खिलाया । दिया प्रेम उपहार , भ्रात का मन हर्षाया ।। राखी का त्योहार, बहन है राह ताकती । थाल सजाकर आज, मुदित मन द्वार झाँकती ।। आया भाई द्वार, बहन अतिशय हर्षायी ।  बाँधी रेशम डोर, भ्रात की सजी कलाई ।। सादर अभिनंदन आपका 🙏 पढ़िए राखी पर मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर जरा अलग सा अब की मैंने राखी पर्व मनाया  

"तन्हाई रास आने लगी"



girl taking selfie
वो तो पुरानी बातें थी
जब हम......
अकेलेपन से डरते थे
कोई न कोई साथ रहे
ऐसा सोचा करते थे
कभी तन्हा हुए तो 
टीवी चलाते,
रेडियो बजाते...
फिर भी चैन न आये तो
फोन करते,
दोस्तों को बुलाते.....
जाने क्यों तन्हाई से डरते थे
पर जब से मिले तुम..!!!
सब बदल सा गया,
बस तेरे ख्यालों में...
मन अटक सा गया..!!!
अब कोई साथ हो ,
तो वह खलता है
मन में बस तेरा ही
सपना पलता है...
सपनीली दुनिया में 
ख्वावों की मन्जिल है
उसमें हम तुम रहते
फिर तन्हा किसको कहते ?
अब तो घर के उस कोने में
मन अपना लगता है,
जहाँ न आये कोई बाधा 
ख्यालों में न हो खलल 
बस मैं और तुम.....
मेरे प्यारे मोबाइल!!!
आ तेरी नजर उतारूँ
अब तुझ पर ही मैं
अपना हर पल वारूँ.....
जब से तुझसे मन लगाने लगी
तब से....सच में.....
तन्हाई रास आने लगी......।
अब तो .......
कहाँ हैं...कैसे हैं ....कोई साथ है.....
कोई फर्क नहीं पड़ता....
रास्ता भटक गये!!!
तो भी नहीं कोई चिन्ता
बस तू और ये इन्टरनैट
साथ रहे ......
तो समझो सब कुछ सैट
अब तो बस .…......
तुझ पर ही मन लगाने लगी,
तब से..........सच में........
तन्हाई रास आने लगी......!!!!

टिप्पणियाँ

फ़ॉलोअर

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात

बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला

आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं