बी पॉजिटिव

"ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ? कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला ! बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था । वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" । माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं । फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...
पतझड़ से झड़ जायें उनके दुख,कोंपल सुख की दे दो...
जवाब देंहटाएंऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।
बहुत खूब......, लोक कल्याण के भावों से लबरेज अप्रतिम रचना सुधा जी ।
आपका हृदयतल से धन्यवाद,मीना जी!
हटाएंसादर आभार....
वाह सुधा जी बहुत कोमल और सुंदर भावों वाली सुंदर रचना ।प्रभु आपकी सभी मनोकामनाएं फलीभूत करे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद, कुसुम जी
हटाएंसस्नेह आभार...
वाह!!सुधा जी ,बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद, शुभा जी !
हटाएंसस्नेह आभार....
सुनो न ! अब की कुछ तो नया कर दो.........
जवाब देंहटाएंऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो।
आपकी कलम से निकली इस उत्कृष्ट रचना की जितनी भी तारीफ करूँ, कम होगी। बहुत-बहुत बधाई आदरणीय सुधा देवरानी जी।
उत्साहवर्धन के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार, पुरुषोत्तम जी !
हटाएंअब को कुछ नया कर दो .......अबकी सबको खुशियों की वजह दे दो ,बहुत खूब सुधा जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार रितु जी !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया
जवाब देंहटाएंसरहद पे डटे जिनके पिय, विरहिणी की दशा क्या होगी
तेरी शीतल बयार भी, शूलों सी चुभती होगी,
छू कर विरहा मन को, एहसास मधुर दे दो......
ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।
बहुत बहुत धन्यवाद, रविन्द्र जी !
हटाएंसादर आभार...
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२५ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपका हृदयतल से आभार श्वेता जी मेरी रचना को विशेषांक में जगह देने के लिए...
जवाब देंहटाएंसरहद पे डटे जिनके पिय, विरहिणी की दशा क्या होगी
जवाब देंहटाएंतेरी शीतल बयार भी, शूलों सी चुभती होगी,
छू कर विरहा मन को, एहसास मधुर दे दो......बहुत खूब ,लाजवाब