आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं

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  आओ बच्चों ! अबकी बारी  होली अलग मनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । ऊँच नीच का भेद भुला हम टोली संग उन्हें भी लें मित्र बनाकर उनसे खेलें रंग गुलाल उन्हें भी दें  छुप-छुप कातर झाँक रहे जो साथ उन्हें भी मिलाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पिचकारी की बौछारों संग सब ओर उमंगें छायी हैं खुशियों के रंगों से रंगी यें प्रेम तरंगे भायी हैं। ढ़ोल मंजीरे की तानों संग  सबको साथ नचाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । आज रंगों में रंगकर बच्चों हो जायें सब एक समान भेदभाव को सहज मिटाता रंगो का यह मंगलगान मन की कड़वाहट को भूलें मिलकर खुशी मनाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । गुझिया मठरी चिप्स पकौड़े पीयें साथ मे ठंडाई होली पर्व सिखाता हमको सदा जीतती अच्छाई राग-द्वेष, मद-मत्सर छोड़े नेकी अब अपनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पढ़िए  एक और रचना इसी ब्लॉग पर ●  बच्चों के मन से

मेरे दीप तुम्हें जलना होगा

 
diya (candle) in dark

 है अंधियारी रात बहुत,
अब तुमको ही तम हरना होगा...
हवा का रुख भी है तूफानी, फिर भी
   मेरे दीप तुम्हें जलना होगा !!!

मंदिम-मंदिम ही सही तुम्हें,
हर हाल में रोशन रहना होगा....
   अब आशाएं बस तुमसे ही,
मेरे दीप तुम्हें जलना होगा !!!

 तूफान सामने से गुजरे जब,
शय मिले जिधर लौ उधर झुकाना...
शुभ शान्त हवा के झोकों संग,
फिर हौले से  तुम जगमगाना !!!

अब हार नहीं लाचार नहीं
हर तिमिर तुम्हेंं हरना होगा...
उम्मीदों की बाती बनकर,
मेरे दीप तुम्हें जलना होगा !!!

राहों में अंधेरापन इतना,गर
तुम ही नहीं तो कुछ भी नहीं....
क्या पाया यों थककर हमने,
मंजिल न मिली तो कुछ भी नहीं !!!

हौसला निज मन में रखकर,
तूफ़ानों से अब लड़ना होगा ....
मन ज्योतिर्मय करने को
मेरे दीप तुम्हें जलना होगा !!!

जलने मिटने से क्या डरना,
नियति यही किस्मत भी यही....
रोशन हो जहांं कर्तव्य निभे,
अविजित तुमको रहना होगा !!!

अंधियारों में प्रज्वलित रहके
 जग ज्योतिर्मय करना होगा
तूफानो में अविचलित रह के
अब ज्योतिपुंज बनना होगा

अब आशाएं बस तुमसे ही
मेरे दीप तुम्हें जलना होगा !!!


टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना सोमवार. 31 जनवरी 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद आ.संगीता जी!मेरी इतनी पुरानी रचना को ढूँढ़कर मंच प्रदान करने हेतु।
      सादर आभार।

      हटाएं
  2. हर दिल में आशा और दृढ़ता से आगे बढ़ने का विश्वास जगाती सुंदर सार्थक रचना सुधाजी।
    आपकी रचनाओं में सुंदर सकारात्मक भाव सदा उत्कृष्ट होते हैं कोई प्रेरक संदेश लिए।
    सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  3. पूर्ण विश्वास है कि यह दीप सदा जलता ही रहेगा। अति सुन्दर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  4. हौसला निज मन में रखकर,
    तूफ़ानों से अब लड़ना होगा ....
    मन ज्योतिर्मय करने को
    मेरे दीप तुम्हें जलना होगा !!!

    थके हारे मन में भी ओज का संचार करती अदभुत सृजन सुधा जी,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
  5. दीपक से बहुत सुन्दर आग्रह और आह्वान प्रिय सुधा जी। दीपक जलता रहे तो अंधेरे की क्या बिसात कि वह किसी के जीवन को ढक परेशान करे। हार्दिक शुभकामनाएं इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए 🌷🌷💐💐

    जवाब देंहटाएं
  6. अति सुंदर सृजन सुधा जी।
    सकारात्मकता का दीप सदैव तम की आखिरी बूँद को भी हरता रहे।

    सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं

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