रिमझिम रिमझिम बरखा आई

चौपाई छंद रिमझिम रिमझिम बरखा आई । धरती पर हरियाली छायी ।। आतप से अब राहत पायी । पुलकित हो धरती मुस्काई ।। खेतों में फसलें लहराती । पावस सबके मन को भाती ।। भक्ति भाव में सब नर नारी । पूजें शिव शंकर त्रिपुरारी ।। सावन में शिव वंदन करते । भोले कष्ट सभी के हरते ।। बिल्वपत्र घृत दूध चढ़ाते । दान भक्ति से पुण्य कमाते ।। काँवड़ ले काँवड़िये जाते । गंंगाजल सावन में लाते ।। बम बम भोले का जयकारा । अंतस में करता उजियारा ।। नारी सज धज तीज मनाती । कजरी लोकगीत हैं गाती ।। धरती ओढ़े चूनर धानी । सावन रिमझिम बरसे पानी ।। हार्दिक अभिनंदन आपका🙏🙏 पढिए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर ● पावस में इस बार
आपकी लिखी रचना सोमवार. 31 जनवरी 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
हृदयतल से धन्यवाद आ.संगीता जी!मेरी इतनी पुरानी रचना को ढूँढ़कर मंच प्रदान करने हेतु।
हटाएंसादर आभार।
हर दिल में आशा और दृढ़ता से आगे बढ़ने का विश्वास जगाती सुंदर सार्थक रचना सुधाजी।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाओं में सुंदर सकारात्मक भाव सदा उत्कृष्ट होते हैं कोई प्रेरक संदेश लिए।
सुंदर सृजन।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी!
हटाएंपूर्ण विश्वास है कि यह दीप सदा जलता ही रहेगा। अति सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंहौसला निज मन में रखकर,
जवाब देंहटाएंतूफ़ानों से अब लड़ना होगा ....
मन ज्योतिर्मय करने को
मेरे दीप तुम्हें जलना होगा !!!
थके हारे मन में भी ओज का संचार करती अदभुत सृजन सुधा जी,सादर नमन आपको
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी!
हटाएंदीपक से बहुत सुन्दर आग्रह और आह्वान प्रिय सुधा जी। दीपक जलता रहे तो अंधेरे की क्या बिसात कि वह किसी के जीवन को ढक परेशान करे। हार्दिक शुभकामनाएं इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए 🌷🌷💐💐
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार रेणु जी!
हटाएंअति सुंदर सृजन सुधा जी।
जवाब देंहटाएंसकारात्मकता का दीप सदैव तम की आखिरी बूँद को भी हरता रहे।
सस्नेह।
जी, अत्यंत आभार एवं धन्यवाद श्वेता जी!
हटाएं