बी पॉजिटिव

"ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ? कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला ! बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था । वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" । माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं । फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द परआप भी आइएगा....धन्यवाद!
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद सखी !
हटाएंसटीक !दोहरी मानसिकता पर प्रहार करती रचना।
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी ! आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।
हटाएंसच है नारी का मौन बन्ध्या रूप सभी को प्रिय है।वह तभी तक संस्कारी मानी जाती है जब तक वह अपनी पीड़ा को भीतर ही भीतर पीती रहती हैं, जैसे ही उसने होंठ खोले बवाल नहीं भूकम्प और सुनामी सारे आ जाते हैं। एक बेबाक रचना के लिये बधाई प्रिय सुधा जी ❤
जवाब देंहटाएंरचना का सार स्पष्ट करती आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु दिल से धन्यवाद एवं आभार रेणु जी !
हटाएंक्या बात है दोहरी मानसिकता पर प्रहार करेंगी तो बवाल तो मचेगा ही न☺️
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