बवाल मच गया
सुन सुन कान पक गये,
उसके तो उम्र भर....
झुक-झुक के ताकने की
अपने ही इशारों पे नचाते
रहे सदियों से,
सदा नाचते -गाते घोड़ी पे चढे़ दूल्हे
अपने ही ब्याह में,
इस बार नच ली दुल्हन तो बवाल मच गया !!!
उसके तो उम्र भर....
इक लब्ज जो कहा तो बवाल मच गया !!!
झुक-झुक के ताकने की
कोशिश सभी किये थे,
घूरती नजर के बाणों से
तन बिधे थे,
तन बिधे थे,
ललचायी थी निगाहें
नजरों से चाटते थे......
नजरों से चाटते थे......
घूँघट स्वयं उठाया तो बवाल मच गया !!!
अपने ही इशारों पे नचाते
रहे सदियों से,
कठपुतली सी उसे यूँ ही घुमाते
रहे अंगुलियोंं पे,
रहे अंगुलियोंं पे,
साधन विलास का उसे
समझा सदा तूने
समझा सदा तूने
जब पाँव स्वयं थिरके तो बवाल मच गया !!!
सदा नाचते -गाते घोड़ी पे चढे़ दूल्हे
अपने ही ब्याह में,
इस बार नच ली दुल्हन तो बवाल मच गया !!!
टिप्पणियाँ
पाँच लिंकों का आनन्द परआप भी आइएगा....धन्यवाद!