दोहे - सावन में शिव भक्ति

■ सावन आया सावन मास है , मंदिर लगी कतार । भक्त डूबते भक्ति में, गूँज रही जयकार ।। लिंग रूप भगवान का, पूजन करते भक्त । कर दर्शन शिवलिंग के, हुआ हृदय अनुरक्त । ओघड़दानी देव शिव, बाबा भोलेनाथ । जपें नाम सब आपका, जोड़े दोनों हाथ ।। करो कृपा मुझ दीन पर, हे शिव गौरीनाथ । हर लो दुख संताप प्रभु, सर पर रख दो हाथ ।। बम बम भोले बोलकर, भक्त करें जयकार । विधिवत व्रत पूजन करें, मिलती खुशी अपार ।। ■ काँवड काँधे में काँवड सजे, होंठों मे शिव नाम । शिव शंकर की भक्ति से, बनते बिगड़े काम ।। काँवड़िया काँवड़ लिये, चलते नंगे पाँव । बम बम के जयघोष से, गूँज रहे हैं गाँव ।। काँधे पर काँवड़ लिये, भक्त चले हरिद्वार । काँवड़ गंगाजल भरे, चले शंभु के द्वार ।। काँवड़िया काँवड़ लिए , गाते शिव के गीत । जीवन उनका धन्य है, शिव से जिनको प्रीत ।। सादर अभिनंदन🙏🙏 पढ़िये भगवान शिव पर आधारित कुण्डलिया छंद निम्न लिंक पर ● हरते सबके कष्ट सदाशिव भोले शंकर
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (१९-०७-२०२०) को शब्द-सृजन-३०'प्रार्थना/आराधना' (चर्चा अंक-३७६७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
तहेदिल से धन्यवाद अनीता जी शब्दसृजन में मेरी रचना साझा करने हेतु।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार राकेश जी!
हटाएंलाजवाब अभिव्यक्ति.. अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद मीना जी !
हटाएंलेकिन मैं प्रभु से प्रार्थना ये करूँ कैसे ??
जवाब देंहटाएंकपटी, स्वार्थी, अहंकारी और भ्रष्टाचारी
बन जाते हो तुम सफलता पाते ही ...!!!!
फिर मैं मन्दोदरी बनूँ कैसे ???......
वाह !! बहुत खूब," मैं मन्दोदरी बनूँ कैसे " बनाना भी नहीं चाहिए। बेहतरीन अभिय्वक्ति सुधा जी,सादर नमन आपको
हृदयतल से धन्यवाद सखी!
हटाएंकितना गहरा व्यंग्य है शालीनता से कितनी बड़ी बात कही सामायिक परिस्थितियों का भी सटीक रेखा चित्र।
जवाब देंहटाएंवाह रचना।
हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी! उत्साहवर्धन हेतु।
हटाएंसस्नेह आभार।
अपनोंं के आशीष में ही ,
जवाब देंहटाएंअपना तो सारा जहाँ है ।
यही सुखद अनुभूति है जीवन की 👌👌🌹🌹❤❤