बी पॉजिटिव

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  "ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ?   कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला !  बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और  बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था ।  वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" ।   माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं ।   फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...

उफ्फ ! "गर्मी आ गयी"

     

sun behind a palm tree

बसंत की मेजबानी अभी चल ही रही थी,
तभी दरवाजे पर दस्तक दे गर्मी बोली ,
               "लो मैंं आ गई"

औऱ फिर सब एक साथ बोल उठे,
           उफ ! गर्मी आ गई  !

हाँ !  मैं आ गयी, अब क्या हुआ ?
सखी सर्दी  जब थी यहाँ आई,
तब भी तुम कहाँ खुश थे भाई !

रोज स्मरण कर मुझे
कोसे थे सर्दी को तुम
ताने - बाने सर्दी सुनकर
चुप लौटी बेचारी बनकर ।
उसे मिटाने और निबटाने,
क्या-क्या नहीं किये थे तुम ।

पेड़ भी सारे काट गिराये,
बस तुमको तब धूप ही भाये ?
छाँव कहीं पर रह ना जाए,
राहों के भी वृक्ष कटाये ।

जगह-जगह अलाव जलाकर,
फिर सर्दी को तुम निबटाये ।
गयी बेचारी अपमानित सी होकर,
बसंत आ गया फिर मुँह धोकर

दो दिन की मेहमानवाजी
फिर तुम सबको भा गयी।
"पर अब लो मैं आ गयी"
करो जतन मुझसे निबटो तुम,
मैं हर घर -आँगन में छा गयी
      "लो मैं आ गयी"
-सुधा देवरानी





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टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.यशोदा जी ! पाँच लिंको के आनंद में मेरी रचना चयन करने हेतु ।

      हटाएं
  2. अभी तो सर्दी ही चल रही । सर्दी में गर्मी का मज़ा । यूँ बीच में बसंत खड़ा है ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सखी सर्दी जब थी यहाँ आई,
    तब भी तुम कहाँ खुश थे भाई !

    सही कहा गर्मी ने। हल्की फुल्की सी प्यारी रचना,🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. सहज सरल अभिव्यक्ति।
    मानव मन को जो हो वो न भाए ।

    जवाब देंहटाएं

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