और एक साल बीत गया

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प्रदत्त पंक्ति ' और एक साल बीत गया' पर मेरा एक प्रयास  और एक साल बीत गया  दिन मास पल छिन  श्वास तनिक रीत गया  हाँ ! और एक साल बीत गया ! ओस की सी बूँद जैसी उम्र भी टपक पड़ी  अंत से अजान ऐसी बेल ज्यों लटक खड़ी  मन प्रसून पर फिर से आस भ्रमर रीझ गया  और एक साल बीत गया ! साल भर चैन नहीं पाने की होड़ लगी  और, और, और अधिक संचय की दौड़ लगी  भान नहीं पोटली से प्राण तनिक छीज गया और एक साल बीत गया ! जो है सहेज उसे चैन की इक श्वास तो ले जीवन उद्देश्य जान सुख की कुछ आस तो ले    मन जो संतुष्ट किया वो ही जग जीत गया  और एक साल बीत गया ! नववर्ष के अग्रिम शुभकामनाओं के साथ पढ़िए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर -- ●  नववर्ष मंगलमय हो

नारी - अबला नहीं


women empowerment(नारी-"अबला नहीं")

आभूषण रूपी बेड़ियाँ पहनकर...
अपमान, प्रताड़ना का दण्ड,
सहना नियति मान लिया...
अबला बनकर निर्भर रहकर,
जीना है यह जान लिया....
सदियों से हो रहा ये शोषण,
अब विनाश तक पहुँच गया ।
"नर-पिशाच" का फैला तोरण,
पूरे समाज तक पहुँच गया ।।


अब वक्त आ गया वर्चस्व करने का,
अन्धविश्वाश ,रूढिवादिता ,कुप्रथाओं,
से हो रहे विनाश को हरने का ।
हाँ ! वक्त आ गया अब पुन: 
शक्ति रूप धारण करने का ।


त्याग दो ये बेड़ियाँ तुम,
लौहतन अपना बना दो !
थरथराये अब ये दानव...
शक्तियां अपनी जगा दो !
लो हिसाब हर शोषण का
उखाड़ फेंको अब ये तोरण !
याद आ जाए सभी को,
रानी लक्ष्मीबाई का युद्ध-भीषण ।


उठो नारी ! आत्मजाग्रति लाकर,
आत्मशक्तियाँ तुम बढ़ाओ !
आत्मरक्षक स्वयं बनकर 
निर्भय निज जीवन बनाओ !
शक्ति अपनी तुम जगाओ !

         .                   - सुधा देवरानी



टिप्पणियाँ

  1. तहेदिल से धन्यवाद आ.यशोदा जी मेरी रचना को मुखरित मौन के मंच पर स्थान देने हेतु।
    सादर आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. आहा क्या ओजस्वी आह्वान है।
    बहुत सुंदर सकारात्मक संदेश देती
    ऊर्जा से परिपूर्ण सृजन प्रिय सुधा जी।

    सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय श्वेता जी!

      हटाएं
  3. नारी सशक्तिकरण की महत्वपूर्ण रचना प्रिय सुधा जी। नारी जब तक सशक्त नहीं होगी उसका कोई भला नहीं कर सकता। अत्यन्त ओजपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए ढेरों शुभकामनाएं आपको 🙏🌷🌷❤️❤️

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार रेणु जी!
      आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हमेशा उत्साहद्विगुणित कर देती है।

      हटाएं
  4. ओज, तेज़ और सार्थक संदेश की त्रिवेणी भ रही है यहाँ। बधाई!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.विश्वमोहन जी!

      हटाएं
  5. नारी को अपने प्रति होने वाले शोषण को खत्म करने के लिए जाग्रत होने का संदेश देती सुंदर और ओजपूर्ण रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (5-4-22) को "शुक्रिया प्रभु का....."(चर्चा अंक 4391) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  7. सहृदय धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु ।

    जवाब देंहटाएं
  8. नारी की क्षमताओं को दिखाती सुंदर सुदृढ़ रचना।
    ओज का आह्वान।

    जवाब देंहटाएं
  9. नारी सशक्तीकरण पर भावपूर्ण और प्रेरक प्रस्तुति प्रिय सुधा जी।अच्छा लगा एक बार फिर पढकर।सस्नेह शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  10. सार्थक अभिव्यक्ति नारी शक्ति का आह्वान करती रचना

    जवाब देंहटाएं

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