भ्रात की सजी कलाई (रोला छंद)

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सावन पावन मास , बहन है पीहर आई । राखी लाई साथ, भ्रात की सजी कलाई ।। टीका करती भाल, मधुर मिष्ठान खिलाती । देकर शुभ आशीष, बहन अतिशय हर्षाती ।। सावन का त्यौहार, बहन राखी ले आयी । अति पावन यह रीत, नेह से खूब निभाई ।। तिलक लगाकर माथ, मधुर मिष्ठान्न खिलाया । दिया प्रेम उपहार , भ्रात का मन हर्षाया ।। राखी का त्योहार, बहन है राह ताकती । थाल सजाकर आज, मुदित मन द्वार झाँकती ।। आया भाई द्वार, बहन अतिशय हर्षायी ।  बाँधी रेशम डोर, भ्रात की सजी कलाई ।। सादर अभिनंदन आपका 🙏 पढ़िए राखी पर मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर जरा अलग सा अब की मैंने राखी पर्व मनाया  

बधाई शुभकामनाएं

 

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आओ लौटें ब्लॉग पर, लेखन सुलेख कर

एक दूसरे से फिर, वही मेल भाव हो ।


पंच लिंक का आनंद,मंच सजे सआनंद

हर एक लिंक सार, पढ़ने का चाव हो ।


सम्मानित चर्चाकार, सम्भालें हैं कार्यभार

स्थापना दिवस आज, पूरा हर ख़्वाव हो ।


शुभकामना अनेक, मंच फले अतिरेक

ऐसे नेक कार्य हेतु, मन से लगाव हो ।


पंच लिंक की चौपाल, सजे यूँ ही सालों साल

बधाई शुभकामना, शुद्ध मन भाव हो ।



मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर 👇

ब्लॉग से मुलाकात.. बहुत समय के बाद 








टिप्पणियाँ

  1. आहा दी क्या खूब आह्वान किया है आपने बहुत सुंदर बधाई संदेश लिखा है... बहुत बहुत बहुत आभार 🙏

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    उत्तर
    1. जी नमस्ते,
      आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ जून २०२५ के लिए साझा की गयी है
      पांच लिंकों का आनंद पर...
      आप भी सादर आमंत्रित हैं।
      सादर
      धन्यवाद।

      हटाएं
  2. बहुत ही सुंदर आह्वान संदेश

    जवाब देंहटाएं
  3. सम्मानित चर्चाकार, सम्भालें हैं कार्यभार । वाह ! बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं

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