बी पॉजिटिव

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  "ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ?   कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला !  बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और  बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था ।  वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" ।   माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं ।   फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...

वीरांगना बन जाओ बिटिया....

girl practicing karate
नाजुकता अब छोडो बिटिया,
वीरांगना बन जाओ ना ।
सीखो जूडो और करांटे,
बल अपना फिर बढाओ ना ।

भैया दण्ड-पेल हैं करते,
तुम भी वही अपनाओ ना ।
गुड्डा-गुड्डी  खेल छोड़ तुम
वीरांगी बन जाओ ना ।

मात-पिता की चिन्ता हो तुम,
रूप नया अपनाओ ना ।
खेलो दंगल बवीता सा तुम,
देश का मान बढाओ ना ।

छोड़ो कोमलता भी अपनी ,
समय को मात दे जाओ ना ।
रणचण्डी,दुर्गा तुम बनकर,
दुष्टों को धूल चटाओ ना ।

निर्भया ज्योति थी माँ-पापा की ,
तम उनका भी मिटाओ ना ।
ऐसे दरिन्दो का काल बनो तुम ,
इतिहास नया ही रचाओ ना ।

अब कोई भी कली धरा पर ,
ऐसे रौंदी जाये ना ।
बीज पनपने से पहले ये ,
भ्रूण में कुचली जाये ना ।

दहेज के भिखमंगों को भी,
बीच सडक पर लाओ ना ।
बहू जलाने वालों के घर-
आँगन आग लगाओ ना ।

वीरांगना बनो तुम बिटिया
सम्बल होगा देश अपना ।
उत्कृष्ट भविष्य के नव-निर्माण से,
होगा पूरा तेरा हर सपना ।


चित्र ; साभार गूगल से...


टिप्पणियाँ

  1. गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर बिटियों का होंसला बढ़ाती अनुपम भेंट।

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  2. बेटियों को ओज भरा आह्वान करती सुंदर सार्थक रचना सुधा जी प्रेरणादायक सृजन।

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना बेटियो का उत्साह वर्धन सुधा जी

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  4. बहुत ही सुंदर रचना...आज के समय की माँग यही है....

    जवाब देंहटाएं
  5. निर्भया ज्योति थी माँ-पापा की ,
    तम उनका भी मिटाओ ना........
    ऐसे दरिन्दो का काल बनो तुम ,
    इतिहास नया ही रचाओ ना ।
    आज के समय के मद्देनजर बहुत ही सटीक रचना सुधा दी।

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