बी पॉजिटिव

"ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ? कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला ! बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था । वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" । माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं । फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 27 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद आ.यशोदा जी मेरी रचना को मुखरित मौन के मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर आभार
गलती भी तुम्हारी सिर्फ़ शरारत,
जवाब देंहटाएंदुख अपना गर तुम्हें मुसीबत ।
दुनिया अपनी उजड सी जाती,
आँखों में दिखे गर थोड़ी नफरत ।
कभी कभीजीवन में किसी के मिलने के बाद इन्सान सही अर्थों में खुद से मिलता है। नई शख्शियत का उदय होता है भीतर। मन के रुहानी एहसासों की प्रेमिल अभिव्यक्ति प्रिय सुधा जी। मन को छू गईं ये सुंदर रचना। यूं ही प्रेम राग रचती रहिए 👌👌🙏🌷🌷🌷
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद रेणु जी!आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया हमेशा रचना को सार्थकता प्रदान करती हैं।
हटाएंअंतस से नि:सृत अनुराग के निश्छल आकुल भाव!
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।
हटाएंआकुलन की व्याकुल भाषा
जवाब देंहटाएंप्रेम सिक्त सुंदर रचना ।
प्रेम व्यथा के सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.कैलाश जी !
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